जिगर मुरादाबादी
बात सन 1920 – 21 की रही होगी मेरे दादा( ग्रैंड फ़ादर) मरहूम हर सहाय हितकारी, पेशे से वक़ील, फतेहपुर कचेहरी में अपने वकालत ख़ाने में बैठे किसी मुवक्किल का केस सुन रहे थे उनके मुंशी वज़ीर हसन उनके साथ बस्ते पर बैठे कोई मिसिल तैयार कर रहे थे कि उनके पास एक लकड़ी के […]
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