गोलमेज

         ”ओ खसकेल..भाग जल्दी वरना तेरको भूत ले जायेगा.उड़ाके..उप्पर…आसमान में.  चल भूतालिया आ गया है.”चौथे को अनसुना कर पहला गोल गोल घूमती हुई हवा देखता रहा  जिसमें कागज, पोलीथिन ,कचरा,धूल और बहुत सा कुछ उड़ रहा है.तभी उसे लगा वह भी उड़कर देखे.उड़ने की ख्वाहिश में भागा उस तरफ और घुमती हुई हवा में घुसने […]

Continue Reading

युवा लेखिकाओं से साक्षात्कार श्रृंखला कड़ी – 3

बिहार सरकार में  प्रखंड कल्याण पदाधिकारी के पद पर कार्यरत युवा लेखिका प्रीति प्रकाश अपने अपने अनुभवजनित गंभीर लेखन से साहित्य की दुनिया में अपनी  विशिष्ट पहचान रखती हैं। उनके लेखन में जो तेवर और तीक्ष्णता है, उसकी झलक उनके साक्षात्कार में भी दिखती है। अपने आसपास के समाज से होते हुए बाहर फैली व्यापक […]

Continue Reading

एक बस यात्रा 

दोपहर का समय था, मुझे अपने कॉलेज जाने के लिए बस लेनी थी। उस दिन न जाने मैने भगवान से कितने शिक़ायते की अपने जीवन को लेकर क्योंकि बस नहीं मिल रही थी आधा घंटा हो चुका था, मैं बस स्टैंड पर खड़ी बस का इंतज़ार कर रही सड़क पर चल रही महंगी-महंगी गाड़ियाँ देख […]

Continue Reading

हरे प्रकाश उपाध्याय की छः कवितायेँ

ज़िंदगी जैसे रेलगाड़ी है भाई एक ही थाली में खाते थे चारों भाईशाम को एक ही तख्त पर करते पढ़ाई कभी मुहब्बत तो कभी होती लड़ाई वक्त की आंधी जो आईउड़ी मुहब्बत पढ़ाई लड़ाई बचपन में एक दोस्त था संतोषहारते कबड्डी तो होता संतोष परीक्षा में कम नंबर आते तो भी संतोष संतोष कि साथ है […]

Continue Reading

कबीर की कविता अर्थात् व्यक्ति का समाज और समाज का व्यक्ति सन्दर्भ

कबीर की पंक्तियाँ हैं, ‘सब दुनी सायानी मैं बौरा/ हम बिगरे बिगरी जनि औरा/’. इन पंक्तियों की जानी-पहचानी व्याख्या को छोड़ दें तो ये पंक्तियाँ एक व्यक्ति के ‘बयान’, उसके ‘स्टेटमेंट’ की तरह भी पढ़ी जा सकती हैं. एक ऐसे बयान के तौर पर, जो तब दिया गया मालूम होता है जब कबीर को उनके […]

Continue Reading

विवेक उपाध्याय की कविताए भाग – 1

अहंकार मनुष्य का जीवन तब पलता हैधर्म और अधर्म के मार्ग पर चलता हैजब भी हो भयभीत तो उस ईश्वर को याद करता हैपरन्तु अहंकार वस कभी ईश्वर को बाधने चलता हैकृष्ण सभा में देते चुनौतीअहंकारी उसे स्वीकार करता हैअंत की परवाह किये बिनाफिर स्वयं नरको का भोग करता हैइसीलिए विपदा जब आती हैविवेक,बुद्धि को […]

Continue Reading

युवा लेखिकाओं से साक्षात्कार श्रृंखला कड़ी – 2

प्रकृति करगेती से अनुराधा गुप्ता की बातचीत 2015 में कहानी ‘ ठहरे हुए से लोग’ के लिए राजेंद्र यादव हंस कथा सम्मान प्राप्त कर हिंदी साहित्य की दुनिया में एक मजबूत जगह बनाने वाली प्रकृति करगेती बेहद ऊर्जावान व डायनेमिक लेखिका हैं। उनका लेखन साहित्य, पत्रकारिता से होते हुए अब सिनेमा के नए क्षितिज तलाश […]

Continue Reading

भीत (दीवार)

ये भीत हमारी हैऔर इसमेंये टांगी हुईतस्वीर उसकी है भीत में दरारें हो गई हैतुम भी देखोगेमगर बोलना मतरंग भी उतरा होगामगर बोलना मत क्यूंकि अब भीत परतस्वीर उसकी है अगर तुम बोलोगेतो बंद कर दियेजाओगेइन दरारों के बीचसीमेंट सेऔर कहा जाएगा‘सुधार हो गया है’ मगर तुम भीत को देखोगेतो रहा नहीं जाएगा तुमसेअच्छा तुम […]

Continue Reading

सोलो ट्रिप पर जाती सखी

दृश्य से दर्शन तक जाती कविताएँ! स्वाति शर्मा का पहला कविता संग्रह-सोलो ट्रिप पर जाती सखी-पढ़ते हुए कुछ बातें साफ़तौर पर कही जा सकती हैं…पहली, उनकी कविताएँ पढ़ते हुए किसी अन्य कवि की याद नहीं आई…यानी उनकी कविताएँ किसी अन्य कवि जैसी नहीं लगीं। स्वाति की कविताएँ स्वाति की कविताओं जैसी ही हैं यानी नितांत […]

Continue Reading

हिंदुस्तान की सांस्कृतिक विरासत दीपावली

भारतवर्ष में जितने भी पर्व हैं, उनमें दीपावली सर्वाधिक लोकप्रिय और जन-जन के मन में हर्ष-उल्लास पैदा करने वाला पर्व है।वैदिक प्रार्थना है- ‘तमसो मा ज्योतिर्गमयः’ अर्थात अंधकार से प्रकाश में ले जाने वाला पर्व है- ‘दीपावली’ वैसे तो सनातन संस्कृति को मानने वाले दीपावली का पर्व सदियों से मनाते आ रहे हैं और निश्चित […]

Continue Reading