शब्द बिरादरी

अरुण शीतांश की कविताएं भाग -1

बहुत अधिक बातें

अधिक लोगों ने
अधिक बातें की
यानी बहुत अधिक बातें

नदियों ने
बहुत आराम से दूसरी नदी से बातें की
पहाड़ ने छोटे पठार से की
यहांँ तक की समुद्र भी नदियों से बातें की

एक पेड़ ने दूसरे पेड़ से
रोज़ बातें की
सुखे हुए पेड़ों से भी बातें की!!!
लेकिन मनुष्य उठा ले गए उसे
और नहीं तो हरे पेड़ को काटे?

फूल भरपूर बातें की दूसरे क़िस्म के फूलों से
वैसे ही फलों ने की

आसमान ने पृथ्वी से बातें की
पृथ्वी ने पाताल लोक से

चिड़ियों ने हर पक्षी से चहचहाती रही

बच्चों ने दुसरे बच्चे से
किलकारी से बातें की

एक हम लोग हैं
एक दूसरे से मुंह फुलाकर बैठ गए हैं

बातों ने बातें की
यह बात हवा पानी और अग्नि को पता है
केवल हमें नहीं

आज हर वृद्ध अकेला है
कौन सी बातें छूट गईं

Exit mobile version