‘शी इज़ नॉट एन इन्नोसेंट गर्ल’

कहानी

थानेदार:  मैडम, बच्ची का रेप हुआ है, 9 साल की बच्ची है, कुम्हार टोला में रहती थी, उसके मम्मी पापा सब मजदूरी करते हैं, वहीं फुटपाथ पर उनकी दुकान है मिट्टी के बर्तनों की. जिस समय ये सब हुआ उसकी आजी घर पर थीं, पर उनको कुछ सुनाई नहीं देता, इसलिये उनके घर रहते हुए भी मीतू के साथ इतना बुरा हुआ. उसकी आजी अब उसे झूठा कह रही हैं, कह रही हैं कि वो तो पूरा समय घर पर थीं, फिर कब हुआ ये सब?

आजी: बबुआ तो कित्ते साल से उनके घर आ रहा है, कभी कुछ नहीं हुआ, बस साल में दो चार बार आकर गांव तक उनकी खैर खबर ले जाता है और वहां की खबर दे जाता है. तो इस बार उसे मीतू में उसे क्या दिख गया, उसे गोद खिला चुका है, पैसे दे कर जाता है, अपनी बहन की तरह मानता है.

लेकिन आजकल की बित्ता बित्ता भर की लड़कियों के दिमाग खराब हैं. ये सब पुलिस को बताते हुए बुढिया आजी, मीतू की मां आसा को घूर रही थी और मीतू को गाली दे रही थी.

आसा अपने पति केशव को थाने जाने के लिये दो दिन से कह रही थी. और आज जब पुलिस खुद घर पहुंच गयी तो बुढ़िया आजी, अपना बेटे-बहू से लड़ रही थी.

मीतू, चूल्हे के नजदीक बनी नाली पर पेंट के पुराने डिब्बों में भरे पानी से बर्तन धो रही थी.

ये कहानी रिनी ने लिखी थी, अपने स्कूल के प्रोजेक्ट के लिये. स्कूल का प्रोजेक्ट  गुड टच, बैड टच सिखाने के लिये था, और रिनी ने ये कहानी तीन दिन की वर्कशॉप के बाद के अपनी प्रोजेक्ट रिपोर्ट में लिखी थी. और थोड़ी देर बाद उसके पास प्रिंसिपल का बुलावा आ गया.                                                              

उस समय क्लास में परवेज़ सर कंप्यूटर लैंग्वेज सिखा रहे थे. रिनी को कंप्यूटर अच्छा लगता है. उसे सी लैंग्वेज के बारे में सोच कर बड़ा मजा आता है कि कंप्यूटर हमारी भाषा में न बात करके 0 और 1 के कोड में सारी बात करते हैं. उसका मन है कि जल्दी जल्दी C लैंग्वेज सीख ले फिर अपने मन की सारी बातें C लैंग्वेज में लिखेगी जिससे कम से कम उसके घरवाले उसकी कहानियां न पढ़ सकें.

रिनी 8 वीं में है, और जब हर्षू उसे क्लास में बुलाने आया तो वो थोड़ा घबरा गयी कि पूरी क्लास के बीच से उसे प्रिंसिपल ने अपने कमरे में बुलाया है. हर्ष, क्लास का सबसे गन्दा लड़का है, हफ्ते में कम से कम दो से तीन बार स्कूल से गायब हो जाता है और फिर जब वो हफ्ते में किसी दिन स्कूल आता है तो क्लास टीचर उसे प्रिंसिपल के रूम में भेजती हैं. हर्ष बुली टाइप का लड़का है, किसी से अच्छे से बात नहीं करता, जूनियर क्लास के बच्चों को अक्सर धमकाता रहता है.

ऐसे में रिनी को जब हर्ष अचानक प्रिंसिपल रूम में बुलाने आया तो उसे डर लगना ही था. प्रिसिपल रूम में क्लास टीचर मिस सुगंधा उसकी वर्कशॉप नोटबुक हाथ में लिये थीं, उसे समझ आ गया कि उसकी कहानी लिखने की आदत ने फिर उसे फंसा दिया है. रिनी फटाफट तैयार हो गयी कि उसे क्या कहना है.

प्रिंसिपल मैडम ने रिनी को देखा और पूछा, ये कहानी आपने लिखी है रिनी?

रिनी ने ‘हां’ में सिर हिलाया.

मैडम ने हर्ष को देखा जो रिनी के पीछे खड़ा था, और उसे बोला हर्ष इसे जोर से पढ़ो:

हर्ष ने रिनी को गुस्से से देखा जो शायद अब तक अपने हिस्से की डांट खाकर, हर बार की तरह वापस क्लास जाने के मूड में था.

उसने प्रिंसिपल मैडम से बोला, “आई कांट रीड दिस मैम, शी राइट्स इन हिंदी. आई कांट इवेन थिंक दैट मच इन हिंदी.

प्रिंसिपल मैम, ये सुन कर गुस्से में लगीं, उन्होने हर्ष को बोला, “रीड दिस राइट नाऊ, आई कांट लिसेन योर एक्सक्यूजेस एवरी डे.”

रिनी सोच रही थी कि हर्ष को कैसे पता कि वो हिंदी में लिखती है. ये सोच कर उसे खराब लगा कि हर्ष को पता है कि उसकी अंग्रेजी अच्छी नहीं है. उसके स्कूल में सब इंग्लिश में ही बात करते हैं या प्रोजेक्ट जमा करते हैं.

प्रिसिपल मैडम की डांट सुन कर, हर्ष ने सुगंधा मैम के हाथ से रिनी की नोटबुक ली और पढ़ना शुरू किया.

“मीतू गैस के सिलेंडर के पीछे गयी जो रसोई में रखा था, वहीं बैठ कर प्रकाश मोबाइल देख रहा था. आजी आगे के कमरे में सो रही थी. उनकी नाक बज रही थी. मां-पापा दुकान गये थे और कुंता भी उनके साथ गयी थी. मीतू को प्रकास भैया अच्छे नहीं लगते थे. 

वो जब भी आते थे उसे देखते रहते थे पर उसके साथ खेलते नहीं थे, कुंता को गोद में उठा कर खूब खिलाते थे, पर उसको केवल घूरते थे. तो जब प्रकास भैया ने उसे मोबाइल देखने के लिये बुलाया तो वो एकदम से नहीं गयी. पर उनके दो तीन बार बुलाने पर वो चली गयी, उसने लाल रंग के बड़ी स्क्रीन वाले मोबाइल में झांका, प्रकास भैया की उमर का कोई लड़का एक छोटी बच्ची को चॉकलेट देने के लिये बुला रहा था.

मीतू को अच्छा लगा, चॉकलेट उसे अच्छी लगती है. प्रकास भैया ने उसे गोद में बिठाने के लिये उसका हाथ खींचा पर वो खड़ी रही, बगल में बैठी नहीं. फिर मीतू का हाथ खींच कर प्रकास भैया ने उसे अपनी गोद में बिठा लिया. मीतू को खराब लगा कि प्रकास भैया उसे क्यों गोद में बिठा रहे हैं, बात तक तो करते नहीं है, पर मोबाइल में उस बच्ची को चॉकलेट मिल गयी थी और वो रैपर खोल कर खा रही थी. इसलिये मीतू को लगा प्रकास भैया अब उसे चॉकलेट देंगे. लेकिन उसे चॉकलेट नहीं मिली उल्टा प्रकास भैया ने उसकी फ्रॉक के अंदर हाथ डाल दिया और मुस्कुराने लगे. उनके दांत कत्थई थे. पान खाने से होंठ के बगल में जमा थूक लाल हो गया था और वो लाल कत्थई दांत और होंठ अचानक मीतू को खाने लगे.”

ये वो कहानी थी जो हर्ष ने तेज आवाज में पर मात्राओं की खूब सारी गलतियां करते हुए सबके सामने पढ़ दी.

बाकी कुम्हार टोला में पुलिस के आने और बाकी की जांच का एक हिस्सा और लिखा था लेकिन प्रिंसिपल मैम ने उसे आगे पढ़ने से रोक दिया.

ये एक अधबनी कहानी थी जिसके कुछ हिस्से लिखे जा चुके थे. रिनी ने ये कहानी आज अपनी क्लास टीचर को प्रोजेक्ट असाइनमेंट में जमा की थी. क्लास के सारे बच्चों को गुड टच या बैड टच से जुड़ा अपना कोई अनुभव लिखना था अगर उन्होने कभी कुछ ऐसा महसूस किया हो.

प्रिंसिपल मैम ने पूछा, रिनी बेटा अगर आपने ये कहानी नहीं लिखी तो हमें बता दो, तुम्हे कोई कुछ नहीं कहेगा.

इस बात पर रिनी थोड़ी हैरान हो गयी. उसके पास इस तरह के पुराने अनुभव थे जब उसकी कहानी या कविता घर में अचानक कोई बड़ा पढ़ लेता था तो अक्सर उससे पूछताछ होती थी. इसलिये उसे पता था कि अब क्या होगा!

पर रिनी को प्रिसिपल मैम की बात सुनकर इसलिये झटका लगा, क्योंकि उसे ये उम्मीद नहीं थी कि उसे ये कहा जाएगा कि ये कहानी उसने नहीं लिखी. रिनी को लगा था कि उसे डांटा जाएगा, चिल्लाया जाएगा, उस पर गुस्सा किया जाएगा कि इस तरह की गंदी कहानी उसने कहां से सीखी, मोबाइल पर देखी या कहीं टीवी पर.

लेकिन उसे ये कहा जाएगा कि ये कहानी किसने लिखी, माने ये उसकी कहानी नहीं मानी जाएगी, इसकी उसे कतई उम्मीद नहीं थी.

इसलिये वो हैरान होकर प्रिंसिपल मैम को देखती रही.

प्रिंसिपल उसे देख रहीं थी और पूछ रहीं थीं कि बेटा आपके घर में आपका होम वर्क कौन चेक करता है?

आपके मम्मी पापा कहां काम करते हैं?

कितने भाई बहन हो तुम लोग?

रिनी ने किसी बात का जब कोई जवाब नहीं दिया तो क्लास टीचर, सुगंधा मैम ने बोला, मैडम इसकी मां घर से ही काम करती हैं, दिन भर कंप्यूटर या मोबाइल पर होती हैं. फादर कहीं शहर से बाहर काम करते हैं, और हफ्ते दस दिन में घर आते जाते रहते हैं. ये पूरा दिन अकेली ही खेलती है क्योंकि इसके भाई बहन नहीं है. इकलौती है, फादर कॉट्रैक्टर हैं शायद. मां क्या करती हैं पता नहीं पर पढ़ी लिखी हैं.

रिनी ये सब सुनती रही और उसने हर्ष की ओर देखा.

हर्ष की आंखों में कुछ पानी जैसा भर आया था.

रिनी को कुछ समझ में नहीं आया कि ये क्या है?

बस हर्ष की आंखों में पानी देख कर रिनी को उसकी आंखें सुंदर लगीं.

इतनी देर में उसे प्रिंसिपल मैम की बातों का जवाब मिल गया था, उसने अपनी कहानी के पीछे का बैकग्राउंड सुना दिया.

मैडम मीतू तो मेरे घर के पीछे ही ईंट भट्ठे पर काम करती है, उसके मम्मी पापा भी वहीं काम करते हैं, उसकी बहन कुंता वहीं धूल में दिन भर खेलती रहती है. लॉक़ाउन में ना उनके पास मास्क होता था है, ना उन दोनों को दूध पीने के लिये मिलता था. लॉकडाउन में, मैं उन्हें अपनी छत से देखती रहती थी. कुंता पूरा दिन अपनी आजी के पास रहती थी, और मीतू अपनी आजी से दिन भर काम न करने के लिये डांट खाती रहती थी. वहीं आते थे वो प्रकास भैया जो मीतू को मोबाइल दिखाने के लिये उसके पीछे पड़े रहते थे और वो उनके आते ही बर्तन धोने बैठ जाती थी.

“तो उसने तुम्हे बताया, ये सब” प्रिसिपल मैम ने पूछा.

नहीं मैम, उसके घर का तो कोई भी हमारे सोसाइटी में नहीं आ सकता.

पर हमारी बालकनी से दिखाई देता है उनका घर.

पॉलीथीन का बना घर है उनका, पुराने टायर और कबाड़ का फर्नीचर है उनके पास. 

ऐसा नहीं था कि ये सब लोग सच में उसके घर के पीछे रहते थे. हां, ये कहानी अचानक उसने तैयार कर ली थी पर इसका एक बड़ा हिस्सा जो उसने इधर उधर यानी टीवी, मोबाइल, पड़ोस और परिवार में जो कुछ भी देखा था, उससे प्रेरित था.

मीतू की कहानी उसकी अपनी थी मतलब सोच कर खुद से लिखी थी उसने पर ये बैकग्राउंड तो अचानक इतनी तेजी से उसके दिमाग में आया कि प्रिंसिपल को बताने के बाद उसे खुद पर गर्व महसूस हुआ.

प्रिसिपल मैम ने रिनी को बोला, “यू गो टू योर क्लास नाऊ एंड आस्क योर पैरेंट्स टू कम हियर नेक्स्ट वीक. आई वांट टू मीट देम.”

जब वो क्लास से निकली उसके काम में प्रिंसिपल मैम की आवाज आयी. वो सुगंधा मिस से कह रही थीं, “टिल देन यू टेक केयर ऑफ हर. शी इज नॉट एन इन्नोसेंट गर्ल. कीप एन आई ऑन हर एंड आल्सो टेक दिस ब्वॉय टू द क्लास, ही कांट रीड हिंदी, यू शुड वर्क ऑन हिम.”

सुगंधा मिस के साथ रिनी क्लास में वापस आ गयी. हर्ष पीछे चल रहा था. वो उसे दोबारा देख नहीं पायी.

प्रिसिपल मैम की लाइन उसके दिमाग में टैग हो गयी थी, शी इज नॉट एन इन्नोसेंट गर्ल

रिनी ने बार बार सोचा कि इस लाइन का क्या मतलब हो सकता है!

क्या मैने कुछ गलत किया है, क्या मुझे ये सब नहीं लिखने चाहिये था.

अब तक उसकी कहानियां पढने के बाद उसकी मम्मी ने उसे कई बार बोला कि ये सब क्या बकवास लिखती रहती हो, उसकी पड़ोस वाली फ्रेंड अंशू ने बोला कि क्यों लिखती हो तुम ये सब, मत लिखा करो यार तुम. उसकी चाची ने एक बार उसकी एक पोयम पढ़ी तो बोला कि ये सब बड़ों की बातें कहां सी सीखें तुमने रिनी. लेकिन किसी ने उससे ये नहीं बोला कि कि वो इन्नोसेंट नहीं है.

रिनी ने उस दिन स्कूल से घर वापस आकर अपनी डायरी में लिखा.

“मतलब मैने कुछ गलत किया है या मेरे साथ कुछ गलत हुआ है? मैंने ऐसा क्या लिख दिया? क्या सड़क पर रहने वाली बच्चियों के साथ बैड टच नहीं होता?

फिर ऐसी लड़कियों की कहानी लिखने पर मेरी इन्नोसेंस कैसे खत्म हो गयी?

ये लोग, गुड टच-बैड टच क्यों सिखाते हैं, हमें?

टीवी ड्रामा में, अखबारों में, फिल्मों में सब जगह तो रेप होता है न लड़की का!

फिर ये सब बैड टच क्यों कह रहे हैं?

अब उसे मां को बताना था कि अगले हफ्ते पापा के साथ उन्हे स्कूल जाना है. उसे ये सोच कर हंसी आयी कि पापा को भी स्कूल जाना है, पापा उसके स्कूल कभी गये हों, उसे याद नहीं. हां, मम्मी जाती थीं उसके साथ, जो पिछले कुछ सालों से काम घर से करने लगी हैं और अब बाहर जाने से बचती रहती हैं. रिनी के स्कूल वो पिछले दो साल से नहीं गयीं.

रिनी ये सब अपनी डायरी में लिख कर सोने ही वाली थी कि उसे फिर से हर्षू की भरी हुई आंखें याद आयीं.  

हर्षू की आंखें सुंदर हैं, रिनी ने सोचा. पर उसने ये बात डायरी में नहीं लिखी. आज ही तो डांट पड़ी थी उसे.

उसकी इन्नोसेंस उसे बनाये रखनी थी इसलिये डायरी में ऐसी बातें वो अपने बारे में लिखने का खतरा नहीं उठा सकती थी.

आज का सबक यही था जो उसने सीखा था.

मीतू की आजी की बात उसने मन में दोहराई, आजकल की बित्ता बित्ता भर की लड़कियों के दिमाग खराब हैं.

क्या प्रिंसिपल मैम भी, सुगंधा मिस से यही नहीं कह रहीं थीं, मेरे लिये, “शी इज नॉट एन इन्नोसेंट गर्ल!

खैर, उसे नींद आ रही थी. उसने आंखें बंद कर लीं.

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हर्ष का दिन कैसा अजीब गया था. रिनी की कहानी उसके दिमाग में घर कर गयी थी. स्कूल से आज वो सीधा घर आ गया था, वो सोच रहा था कि जरूर रिनी के साथ भी ऐसा कुछ हुआ होगा. उसे ये सब बातें इतने अच्छे से कैसे पता हैं!

बिना कुछ उसके साथ हुए वो कैसे ये सब इतनी आसानी से लिख सकती है!

ये सब बातें तो कोई एक दूसरे को बताता भी नहीं है. रिनी ने जरूर कुछ किया है.

बबुआ को क्या उसने सच में देखा होगा?

बबुआ के बारे में सोच कर उसे बड़ा गुस्सा आ रहा था. ऐसा लग रहा था जैसे उसे किसी ने कुम्हार टोला में मीतू के घर में फिट कर दिया हो.

वो ‘बबुआ’ हो गया था रात भर के लिये.

गुस्से और शर्म की मिली जुली भावनाओं के साथ हर्ष पूरी रात सो नहीं सका और मोबाइल में इयरफोन डाल कर रात भर गाने सुनता रहा. उसके लिये ये सब बड़ा नया था जैसे रिनी ने उसी की कहानी अपनी प्रोजेक्ट में लिख दी हो.

क्या मीतू बिल्कुल नीली जैसी नहीं होगी. नीली 5 साल की रही होगी जब बिंदिया दीदी के साथ घर आती थी. दो ही साल पहले की तो बात है. ऐसा ही हुआ था, मैने नीली को गोद में चॉकलेट दिलाने जाने के बहाने पकड़ लिया था और उसे घास वाले मैदान के पीछे ले गया था. मेरे उंगली डालते ही वो रोने लगी थी. चॉकलेट खिला कर किसी तरह चुप करा पाया था. उसे क्या अब भी याद होगा मेरे बारे में सब कुछ. वो तो छोटी थी. क्या मैने उसके साथ रेप किया था? रेप, हाथ डालने से तो नहीं होता है! पॉर्न फिल्मों में तो ऐसा नहीं दिखाते. 

डॉक्टर भी तो उंगली ही डालते हैं, रेप चेक करने के लिये! हर्ष ने न्यूज में देखा था कि रेप पता करने के लिए डॉक्टर उंगली डालते हैं, वहां.

फिर रिनी ने रेप क्यों लिखा, अपनी कहानी में? उसे कैसे पता कि मीतू के साथ रेप हुआ?

ठीक लड़की नहीं है वो.

ये सब सोचते सोचते बबुआ को सुबह जाकर नींद आयी.

सुबह मम्मी ने जब आशी (हर्ष की बहन, 7 साल) को बगल वाले बिस्तर से उठाया तब उसकी नींद खुली. आशी को देख कर हर्ष को फिर से नीली याद आयी.

हर्ष ने फटाफट नीली का ख्याल दिमाग से निकाला और बाथरूम में घुस गया.   

बाथरूम में उसने तय कर लिया था कि उसे एकदम शांत रहना है और एकदम इन्नोसेंट दिखना है, जैसे उसने न ये सब कभी सुना है, न उसे कुछ पता है.

खैर स्कूल जाकर उसने इन्नोसेंट वाला पार्ट अच्छे से प्ले किया और स्कूल में किसी को कुछ पता नहीं लगा.

मैडम ने रिनी को पूरा दिन स्कूल की किताबों में काम देकर उलझाये रखा और क्लास मॉनीटर सानिया को उस पर नजर रखने बोल दिया कि वो कब, किससे क्या बात करती है, सब बातों की खबर उन्हे मिलनी चाहिये. 

सानिया को पता था रिनी कहानियां लिखती है और उसकी मम्मी ने उसे रिनी से दूर रहने के लिये बोला था.

सानिया ने हर्ष को बताया, मेरी मम्मी ने रिनी से दूर रहने के लिये बोला है, वो कहती हैं ये सब गंदा लिखने वाली लड़कियां कुछ न कुछ गलत जरूर की होती हैं.

हर्ष ने उसे कल रिनी की कहानी के बारे में बताया था कि रिनी ने अपनी प्रोजेक्ट रिपोर्ट में एक गंदी कहानी लिखी थी. बाद में सानिया ने हेड ऑफिस से रिनी की नोटबुक चुरा कर वो कहानी पढी थी. उसने अपनी मम्मी को जब बताया कि रिनी कि एक गंदी कहानी आज टीचर ने पकड़ी. तो उसकी मम्मी ने पूछा कि उसे कैसे पता कि वो एक गंदी कहानी थी.

सानिया ने मम्मी को ये नहीं बताया कि हर्ष ने वो कहानी प्रिसिपल रूम में पढी थी और उसने उसे बताया वो एक गंदी कहानी थी. वो मम्मी को ये नहीं बोल सकती थी कि वो गंदी कहानी के बारे में क्लास के किसी लड़के से बात करती है. वरना ये उसके लिये खतरे वाली बात हो सकती थी. मम्मी हर्ष से उसकी बात बंद करा देतीं और हर्ष उसे अच्छा लगता है. वो अक्सर रात में सोने से पहले उसके बारे में सोचती है. उसकी बातें वो सारा दिन सुन सकती है. पर वे ये सब किसी से नहीं कह सकती. वरना वो भी गंदी लड़की बन जाएगी. ठीक लड़की नहीं रह जाएगी.

…और जो लड़कियां ठीक नहीं होतीं उनके साथ कुछ भी बुरा हो सकता है. ये उसने अपनी बुआ को कहते सुना है कि लड़की लोग सब जब ठीक से नहीं रहेगी तो लड़का लोग सब गलत करेगा ही. इसमे बाद में दुनिया कानून लड़का लोग को चाहे जित्ती सजा दे दे, कुछ सही नहीं होने वाला दुनिया में. इसलिए सानिया को पता था उसके लिये इन्नोसेंट बने रहना कितना जरूरी है. 

रिनी को इस बीच इतना काम मिल रहा था कि वो परेशान रहने लगी थी. उसे पढ़ना पसंद था, सारा होमवर्क खत्म कर के ही वो हमेशा स्कूल जाती थी क्योंकि उसे टीचर से डांट खाना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था. पर कुछ दिन से होमवर्क खत्म ही नहीं होता था. घर का काम भी वो अब रोज करती थी.

वो जब अपनी मम्मी को स्कूल लेकर गयी थी प्रिंसिपल से मिलाने तो वो दोनों घंटे भर बात करते रहे थे. उसकी मम्मी वापस घर आयीं तो बोलीं तुम अब से, होमवर्क खत्म करने के बाद घर का काम भी करोगी रिनी.

इसलिये रिनी को आजकल बिल्कुल फुर्सत नहीं मिलती थी. रिनी को थकान से रात में नींद भी नहीं आती थी.

ऐसे ही एक रात उसने अपनी मम्मी को फोन पर पापा से बात करते हुए सुना कि रिनी पता नहीं कहां से ये सब गंदी बातें सीख रही थी, अब उसको स्कूल से ढेर सारा काम मिलने लगा है और घर पर भी वो एक टाइम खाना बना रही है तो अब ये सब ऊल जुलूल सोचने लिखने का टाइम उसको नहीं मिलता. अब वो एकदम समय पर सोने लगी है. वरना सोने से पहले इंटरनेट पर पता नहीं क्या देखती रहती थी. उसकी सारी इन्नोसेंस खत्म हुई जा रही थी.

इध रिनी अपने कमरे में, थकान और नींद के बीच

मास्टरबेट करने की कोशिश कर रही थी.

पिछली बार जब पापा घर आये थे, तो उसने पापा को मां से कहते सुना था कि तुमको रोका किसने है, रात में नींद नहीं आती तो मास्टरबेट करो और सो जाओ. अच्छी नींद आएगी.

रिनी की मां अक्सर रात को नींद न आने से परेशान रहतीं थीं. पापा जब घर आते थे तो मम्मी खूब तैयार रहने लगती थीं. खासकर रात में, वो बहुत सुंदर लगती थी. रिनी को बहुत अजीब लगतीं ये वाली मम्मी क्योंकि पापा के न रहने पर तो वो मम्मी को हमेशा बेहाल देखती थी. खासकर सोने से पहले तो वो अपना काम निबटाने में इतनी व्यस्त रहती थीं कि उन्हे खाना खाने का ध्यान भी नहीं रहता था.

पिछली बार पापा के जाने के बाद मम्मी खूब रोयीं थीं. ये दो साल पहले की बात है. तबसे उसकी मम्मी गुमसुम रहती थीं. पता नहीं रात में मास्टरबेट करती थीं या नहीं. रिनी अपने कमरे में अकेले सोती थी. मम्मी-पापा का कमरा हमेशा से अलग था.

पापा के जाने के बाद रिनी ने अपने कंप्यूटर पर मास्टरबेट वीडियोज देखे थे. शुरू में जब उसने ट्राई किया तो उसे बड़ी हंसी आयी, गुदगुदी सी लगती थी वहां. पर थोड़े दिन बाद उसे अच्छा लगने लगा. थकान में तो वाकई जादू जैसा असर करता था और वो झट से सो जाती थी.

पर उसकी इन्नोसेंस क्या वाकई खत्म हो गयी है. ये मस्टरबेट करने की वजह से हो रहा है क्या, उसने सोचा. फिर पापा क्यों कह रहे थे मम्मी से? क्या पापा भी करते होंगे? या पापा सेक्स करते होंगे किसी के साथ!

मम्मी तो पापा के साथ रहते नहीं और पापा घर जब आये थे तब भी सोफे पर सोते थे. मम्मी अलग बेड पर सोती थीं. फिर सेक्स तो नहीं करते दोनों. फिर क्या करते होंगे? क्या दो लोग मास्टरबेट भी करते होंगे एक दूसरे के साथ? मास्टरबेट करने से इन्नोसेंस कैसे खत्म होती होगी!

पता नहीं थकान इतनी ज्यादा हो जाती है कि मास्टरबेट करने का मन नहीं होता, लोग सेक्स कैसे करते होंगे!

वो थकान में झूलते हुए ये सब बड़बड़ा रही थी और रिनी की मम्मी जो उसकी आवाज़ से चौंक कर उसके कमरे पहुंच गयी थीं, बड़ी देर से उसकी बड़बड़ाहट सुन रही थीं.

रिनी की ये हालत देख कर उन्हे झटका सा लगा. उसका नींद में बड़बड़ाना वो पहली बार सुन रही थीं. उन्हे पता था, रिनी को घरेलू काम में झोंकने का ये जो नुस्खा उन्होने उसकी प्रिंसिपल मैडम से पाया था, ये सदियों से औरतों पर आजमाया जा रहा है. उनकी अपनी कहानी भी कुछ ऐसी ही थी.

रिनी की उमर में उनके पास इतना काम होता था कि दर्द से रात भर उनके पैरों में ऐंठन होती रहती थी. वो रात भर सो नहीं पाती थीं., स्कूल से आने के बाद दिन में घर का सारा काम उन्हे करना होता था. इतने काम के बाद किसके दिमाग में सेक्स आएगा.

अचानक उन्हे समझ आया कि वो तो कभी रात में चैन से सो ही नहीं पायीं. पूरे दिन की थकान और काम का बोझ हमेशा उनकी नींद पर हावी रहा है. शादी के बाद जब रिनी के पापा रात भर उन्हे जगाये रखना चाहते तो वो हमेशा सो जातीं और पूरा रात नींद में कुछ न कुछ बड़बड़ाती रहतीं. अगली सुबह भी वो थकी हुई होती थीं.

रिनी के पापा उनकी इस आदत से बहुत परेशान होते थे. वो कहते थे इतना काम न किया करो. कुछ टाइम अपने लिये भी निकाला करो. पर उन्हे ये बात कभी समझ नहीं आयी कि इतने काम के बीच वो अपने लिये टाइम कैसे निकालें. बचपन की ट्रेनिंग ही ऐसी थी.

यही वजह थी कि रिनी के पापा के दूसरे शहर में जाने के बाद वो कुछ दिन तो बहुत चैन से सोयीं फिर उसके बाद जब नींद रात भर आने ही नहीं लगी तो उन्होने एक वर्क फ्रॉम होम जॉब पक़ड़ ली. देर रात काम करने के बाद जब वो थक कर चूर होतीं तो नींद में बड़बड़ाते हुए कब रात बीत जाती उन्हे पता ही नहीं लगता था.  

जरूरत से ज्यादा काम, दिन भर दर्द-थकान और ठीक से नींद न आने के बीच कहीं किसी कब्र में उनके अंदर का सारा सेक्स दफन हो गया था.

रिनी की मम्मी जो उसे मास्टरबेट करने और थकान में पता नहीं लोग सेक्स कैसे करते हैं – ये सब बड़बड़ाते हुए सुन रही थीं. उन्हे अपनी बच्ची के कमरे की खिड़की से उस पार किसी कब़र पर शब-ए-रात के रोशनियां झिलमिलाती नज़र आयीं.

अगली सुबह रिनी के उठते ही उसकी मम्मी ने उसे घर का काम करने से मना कर दिया.

जया निगम
डिजिटल पत्रकारिता का सफर 2009 से शुरू किया, पर्सनल इज पोलिटिकल के रस्ते पर बढ़ते अभी स्पेनिश अध्ययन और लेखन की दुनिया में अपनी शुरुआत कर रही हैं । फेमिनिज्म, फिल्म, हिस्ट्री, पॉलिटिक्स, साइंस, सटायर और म्यूजिक उनके असल अनुराग हैं

2 thoughts on “‘शी इज़ नॉट एन इन्नोसेंट गर्ल’

  1. बहुत ही सुन्दर तरीके से कुमारी अवस्था की बच्ची की सोच, विचार प्रस्तुत किये हैं, कहानी का प्रवाह भी हट कर है, एकदम मौलिक, अब पढने के बाद यह कयास लगाया जाएगा कि किसी बच्ची के साथ हुई घटना की जानकारी आपको है या आपको बताया गया है, बधाई, शुभकामनाएं,

  2. जया की कहानी का विषय काफी बोल्ड और संवेदनशील है, ये कहानी समाज में इनोसेंट का मुखौटा ओढ़े लोगों का असली चेहरा दिखाती है। एक अच्छी कहानी लिखने की बहुत बहुत बधाई हो जया जी।

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