क्या कहते हो कुछ लिख दूं,

क्या कहते हो कुछ लिख दूं,मैं ललित कलित कविताएं। चाहो तो चित्रित कर दूं,जीवन की वरुण कथाएं।। सूना कवि- हृदय पड़ा है,इसमें लालित्य नहीं है। इस छूटे हुए जीवन में,अब तो साहित्य नहीं है।। मेरे सौम्य भावों का सौदा, करती अंतर की ज्वाला। बेसुध- सी करती जाती,क्षण-क्षण कुयोग की हाला।। नीरस- सा होता जाता,जाने क्यों […]

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