वरिष्ठ आलोचक प्रो. गोपेश्वर सिंह से अनुराधा गुप्ता की बातचीत

‘साहित्य के जनतंत्र में आलोचना प्रतिपक्ष की रचनात्मक भूमिका निभाने वाली विधा है’ गोपेश्वर सिंह हमारे समय के महत्त्वपूर्ण आलोचक व चिन्तक हैं. आधुनिक साहित्य के साथभक्ति साहित्य को अलग नजरिए से देखने और उसके महत्त्वपूर्ण आयाम उद्घाटित करने मेंउनका विशेष योगदान है.उनकी प्रमुख पुस्तकें हैं – ‘नलिन विलोचन शर्मा’ (विनिबंध,साहित्य अकादेमी),‘साहित्य से संवाद’, ‘आलोचना […]

Continue Reading

लोकमाता अहिल्या बाई होलकर

एक पर्याय : सशक्त भारतीय स्त्री का                                            “The History of a nation is the biography of its great men” Thomas  Carlyle (किसी भी राष्ट्र का इतिहास उसके महान लोगों की जीवनी होता है।) संपूर्ण विश्व में समान अधिकारों के संघर्ष के सिलसिले में ‘नारीवाद’ शब्द सामने आया। ‘नारीवाद’ आधुनिक व परवर्ती काल में […]

Continue Reading

अपनी बात

 एक पुराना पद है – शब्द ब्रह्म है। उसकी अपनी महिमा और  सत्ता है। आप जितने बार उसके पास जाते हैं..उतने बार उसके अर्थ और गहराई से खुलते हैं, कई बार एक ही शब्द के नए मायने चिंहुक कर हम तक पहुँच जाते हैं। शब्द घिसते हैं, अर्थ बदलते हैं, समय के अंतराल में नए […]

Continue Reading