औरत, रात, चाँद और कजरौटा!
औरत, रात, चाँद और कजरौटा! जिंदगी का कजरौटा! रखती वो सम्भाल कर, ऊपर, ताखे पर.. सफ़ेद लुगरी के बित्ते भर के कपड़े मे लपेट कर! कजरौटा अब भरने को है.. उम्र के भी चालीस पार होने को हैं। दुःखों की काले काजर को.. हर रात खुरच-खुरच मन के दीवार से हटा.. कर देती कजरौटा के […]
Continue Reading