अरुण शीतांश की कविताएं भाग -3
पिता पिता को बोतल से पानी पीने नहीं आया पिता गंजी और कमीज़ की गंध से पहचान में आएऔर दो किलो खीरा ले आए पिता की नौकरी देर से लगीसाइकिल से पूरी की यात्रा वे एक मकान और एक दालान के शौकीन हैंजिनमें लगी रहीं चौकियां दो चारएक चपाकल कुछ पेड़ कुछ पूजा के लिए […]
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