कवि‌ का फर्ज़

भूल गएं हैं हम, कवि का फर्ज़अरे! लिखो सच्चाई क्या है हर्ज़ लिखो तुम अबला का विलापमासूमों का दर्द, परिवार का संताप लिखो तुम भूखों की पीड़ाक्यो करते महलों में क्रीड़ा लिखो तुम आंसू गरीबों केलिखो तुम हाल फकीरों के लिखो तुम नवयुवक का त्रासकैसे बन रहा अवसाद का ग्रास कैसे मार रही इंसानियत लिखोइंसानों […]

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मेरी पुस्तकालय यात्रा

कई दिनों बाद जब मैं पुस्तकालय गई। देख कर मुझे ,पुस्तके, मुस्कुराने लगी उनके चेहरे पर मुस्कान ,आंखों में नमी थी। पूछती मुझसे ,बताओ हममें क्या कमी थी। कोने में बैठा ,साहित्य भी उदास था। सोचता, मैं भी कभी लोगों का खास था। घर-घर में जाता ,मिलता सबके पास था लेकिन आज विद्यार्थियो के लिए […]

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