प्रियंका यादव की पाँच कवितायेँ

1. ‘इस धारा में’ तुम पर्वत की तरह कोमल थे नदी तुम्हारे भीतर से बह गई मैं रेत की तरह कठोर था मैंने उसे बाहर आने नहीं दिया इस धारा में एक ने जीवन देखा दूसरे ने मृत्यु । 2. ‘मरघट’ मैं जब भी शवों को देखता हूं अपने जीवन से कुछ और प्रेम करने […]

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