अध्यापिका धर्म

जैसा तुम सुकून पहुंचाने वाली होवैसा ही मधुर तुम गाती हो पर क्यों जब भी क्लास में आती होहेडफोन अपने साथ लाती हो, मैं उसे घूरता रहता हूं,वह बेचारा अकेला रह जाता है, तुम इग्नोर उसे करके फिरचॉक हाथ में उठती हो, जिस दिन मैं याद नहीं करता,उसी दिन सवाल पूछने लग जाती हो मेरे […]

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।   सात दिन ।

मैं तुमसे बातें करना चाहता हूंजब एकांत में तुम्हे पाता हूंतुम बहुत कुछ मुझे समझा जाती हो,मगर पलकें तक न उठाती होमैं सिर झुकाए तुममे डूबा रहता हूं,तुममें ही तुम्हारी खोज करता हूं                           मगर समय बहुत जल्दी बीत जाता है               मैं तुम्हे पूरा नहीं, कुछ हद तक ही,               अपने पास रख पाता हूं               तुम बिना […]

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शीर्षक – तुम आओगी क्या?

आज फिर से मक्के की रोटी बनाई हैउसके साथ साग तीसी और हरी मिर्च,मां लाई हैतुम खाने आओगी क्या?एक बार फिर सेमुझे मेरे वर्तमान सेअतीत में बुलाओगी क्या? ये जो नेटफ्लिक्स और इंस्टा का ज़माना हैशायद मैंने भी इसे इस ज़माने कागुनहगार माना है कहानी सुनने और सुनाने वाले,न जाने कहां खो गएइस प्यार के […]

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