ललन चतुर्वेदी के दो व्यंग्य

वैकल्पिक व्यवस्था होने तक हिन्दी के एक बड़े लेखक प्रभाकर माचवे ने कभी कहा था कि लेखक को स्वयं को बार-बार उद्धृत करना चाहिए. इससे मैं सहमत हूँ. कभी- कभी अपना लिखा हुआ लेख उठाकर पढता हूँ तो उसकी शाश्वतता का बोध होता है. मन खुश हो जाता है. सच  मानिए अपने लेखन में भविष्य […]

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जिगर मुरादाबादी

बात सन 1920 – 21 की रही होगी मेरे दादा( ग्रैंड फ़ादर) मरहूम हर सहाय हितकारी, पेशे से वक़ील, फतेहपुर कचेहरी में अपने वकालत ख़ाने में बैठे किसी मुवक्किल का केस सुन रहे थे उनके मुंशी वज़ीर हसन उनके साथ बस्ते पर बैठे कोई मिसिल तैयार कर रहे थे कि उनके पास एक लकड़ी के […]

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Female labour force participation in India: Why are women not working?

Abstract Female labour force participation (FLFP) in India remains critically low, with only about 30% of women engaged in paid employment, despite their significant potential contribution to the country’s GDP. Several factors, including socio-cultural norms, economic structures, and systemic barriers, limit women’s workforce participation in both rural and urban settings. Recent trends, however, indicate a […]

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अलविदा दोस्तों

ज़िन्दगी किस शय का नाम है? ज़िन्दगी शायद सफ़र का नाम है। इस सफ़र में चलते हुए सिर्फ जूते ही नहीं   घिसते , पाँव की ऐड़ियाँ भी घिस जाती है। वक़्त के साथ दौड़ने की हसरत और वक्त से पिछड़ जाने की तड़प ! कनॉट प्लेस के खाली बेंच पर बैठा मैं, अकेला और खाली […]

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हिंदुस्तान की सांस्कृतिक विरासत दीपावली

भारतवर्ष में जितने भी पर्व हैं, उनमें दीपावली सर्वाधिक लोकप्रिय और जन-जन के मन में हर्ष-उल्लास पैदा करने वाला पर्व है।वैदिक प्रार्थना है- ‘तमसो मा ज्योतिर्गमयः’ अर्थात अंधकार से प्रकाश में ले जाने वाला पर्व है- ‘दीपावली’ वैसे तो सनातन संस्कृति को मानने वाले दीपावली का पर्व सदियों से मनाते आ रहे हैं और निश्चित […]

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यादों में कानपुर पार्ट -2

कानपुर के मुशायरे यूं तो शेरी नशिस्ते साल भर होती रहतीं थीं लेकिन हल्के गुलाबी जाड़े शुरु होते ही कानपुर में मुशायरे ज़ोर पकड़ने लगते थे। मुशायरे ऑर्गनाइज़ करने में कई अदबी ऑर्गनाइज़ेशन एक्टिव थे और फाइनांशियल सपोर्ट में कॉरपोरेट्स का अहम रोल था। जिनमें बीआईसी यानि ब्रिटिश इंडिया कॉर्पोरेशन के अलावा जे के ग्रुप्स […]

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मजाज़ की याद में

ज़माने से आगे तो बढ़िए मजाज़ इश्क़ के एहसास को, वक़्त की नब्ज़ को, औरत के हक़ को और मज़लूम की आवाज़ को बड़े ही खूबसूरत अंदाज़ बयान करने का सलीका मजाज़ में था। असरारुल हक़ मजाज़ तरक्की पसंद तहरीक के नुमाइंदे थे और ये वह दौर था जब इनका इन्किलाबी कलाम हर किसी के […]

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संस्मरण – यादों में कानपुर भाग -1

‘कानपुर का जो ज़िक्र किया तूने हमनशीं इक तीर मेरे सीने में मारा के हाय हाय !’ अंग्रेज़ी में एक लफ्ज़ है Amazing जिसका हिंदी तर्जुमा अद्भुत है और उर्दू में इसे हैरत अंगेज़ कहतें हैं। लेकिन हमारे लिए इन तीनों का असल मतलब कानपुर है! इस बात को वही समझ सकता है जो या […]

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