ललन चतुर्वेदी के दो व्यंग्य
वैकल्पिक व्यवस्था होने तक हिन्दी के एक बड़े लेखक प्रभाकर माचवे ने कभी कहा था कि लेखक को स्वयं को बार-बार उद्धृत करना चाहिए. इससे मैं सहमत हूँ. कभी- कभी अपना लिखा हुआ लेख उठाकर पढता हूँ तो उसकी शाश्वतता का बोध होता है. मन खुश हो जाता है. सच मानिए अपने लेखन में भविष्य […]
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