लावारिस

इकतीस दिसंबर की रात थी। आज मल्टी में भव्य आयोजन था। इसी लिए खाने की तलाश में वह—गोलू—रात दस बजे ही आकर बैठ गया था, क्योंकि अमूमन पार्टी ग्यारह-साढ़े ग्यारह बजे समाप्त हो जाती और फेंका हुआ जूठा, किन्तु स्वादिष्ट भोजन मिल जाता। पेट भी अच्छे से भर जाता। लेकिन उसे पता नहीं था कि […]

Continue Reading

‘ऐन एक्स्ट्रा हेवी डे’

नेहा ने मेंहदी के कुप्पीनुमा पैकेट के मूंह से पिन खींचा और उसे दबाया, मेंहदी बाहर नहीं निकली| बहुत दिनों से रखी हुई शायद सूख गयी थी| नेहा को चिडचिडाहट हुई| हालांकि यह चिडचिडाहट उसे हफ्ते भर से हो रही थी|इस बार पीरियड्स पंद्रह दिन देर से आया था| तारीख सात दिन बढ़ गयी तो […]

Continue Reading

चंद्रिका चौधरी की चार लघुकथाएं

  टुकड़े-कपड़े             आज सुमन पटियाला-कुर्ती सिलने के लिए कपड़े को ज़मीन पर बिछाकर रखी है ताकि सही नाप में काट सके । एकाएक उसकी आँखें दीवार पर टिक-टिक करती घड़ी पर टंग गई । इस समय पड़ोस के दादा जी हर रोज चाय पीने आते हैं, अब तक नहीं आए ! कैंची वहीं छोड़ […]

Continue Reading

ब्लैक ब्यूटी

निकहत ने टाइट जींस पहनी थी जिस पर छोटे आकार का टॉप उसके उभारों को इतना कसे था कि अधिक उत्तेजना से भर सके। मेहरून लिपस्टिक उसके होंठो को और आकर्षक बना रही थी। फ्लैट का दरवाजा मैंने ही खोला था। दरवाजा खोलते ही उसने पूछा –“डॉ. भूषण कहाँ है?” मैंने दूसरे कमरे की ओर […]

Continue Reading

‘शी इज़ नॉट एन इन्नोसेंट गर्ल’

थानेदार:  मैडम, बच्ची का रेप हुआ है, 9 साल की बच्ची है, कुम्हार टोला में रहती थी, उसके मम्मी पापा सब मजदूरी करते हैं, वहीं फुटपाथ पर उनकी दुकान है मिट्टी के बर्तनों की. जिस समय ये सब हुआ उसकी आजी घर पर थीं, पर उनको कुछ सुनाई नहीं देता, इसलिये उनके घर रहते हुए […]

Continue Reading

अलविदा दोस्तों

ज़िन्दगी किस शय का नाम है? ज़िन्दगी शायद सफ़र का नाम है। इस सफ़र में चलते हुए सिर्फ जूते ही नहीं   घिसते , पाँव की ऐड़ियाँ भी घिस जाती है। वक़्त के साथ दौड़ने की हसरत और वक्त से पिछड़ जाने की तड़प ! कनॉट प्लेस के खाली बेंच पर बैठा मैं, अकेला और खाली […]

Continue Reading

“अनभ्यास का नियम ”

“सुनो ना! चलो सोचना-सोचना खेलते हैं।” “पहले तुम!” “अच्छा चलो मान लो एक ट्रेन, एक शहर में पहुंचा दे तुम्हें, रिक्शे-तांगे, सबके सोये हुए होने के समय पर!”           “अब तुम दूधिया रौशनी वाली लैम्पपोस्ट के नीचे वाली बेंच पर बैठे सुबह को अगोरते हो! प्लेटफार्म के पीछे यूकिलिप्टस के पेड़ों का झुरमुट है। दस […]

Continue Reading

क़ब्रिस्तान में कोयल

बड़े फ़लक की हैं ये कहानियाँ! निर्मल वर्मा हिन्दी में सबसे अधिक पढ़े और पसन्द किए जाने वाले लेखक हैं। अधिकांश पाठकों और आलोचकों का भी यह मानना है कि उनकी कहानियाँ गहरा प्रभाव छोड़ती हैं-पढ़ते समय भी और पढ़ने के बाद भी। नामवर सिंह तो यहाँ तक कहते हैं कि उनकी लगभग तमाम कहानियों […]

Continue Reading

शुक्रिया जनाब

बीमारी की हालत में जयन्ती लाल को बिस्तर पर पड़े-पड़े आज छठां दिन था। इस बीच बीमारी, थकान और कमजोरी के कारण वे दैनन्दिन के अपने छोटे-से-छोटे कार्य के लिए भी पत्नी पर निर्भर हो गये थे। इन छः दिनों में उनकी पत्नी रचना ने उनकी सेवा-सुश्रुषा में कोई कमी नहीं रखी थी। दिन-भर में […]

Continue Reading