लावारिस
इकतीस दिसंबर की रात थी। आज मल्टी में भव्य आयोजन था। इसी लिए खाने की तलाश में वह—गोलू—रात दस बजे ही आकर बैठ गया था, क्योंकि अमूमन पार्टी ग्यारह-साढ़े ग्यारह बजे समाप्त हो जाती और फेंका हुआ जूठा, किन्तु स्वादिष्ट भोजन मिल जाता। पेट भी अच्छे से भर जाता। लेकिन उसे पता नहीं था कि […]
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