“अनभ्यास का नियम ”

“सुनो ना! चलो सोचना-सोचना खेलते हैं।” “पहले तुम!” “अच्छा चलो मान लो एक ट्रेन, एक शहर में पहुंचा दे तुम्हें, रिक्शे-तांगे, सबके सोये हुए होने के समय पर!”           “अब तुम दूधिया रौशनी वाली लैम्पपोस्ट के नीचे वाली बेंच पर बैठे सुबह को अगोरते हो! प्लेटफार्म के पीछे यूकिलिप्टस के पेड़ों का झुरमुट है। दस […]

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क़ब्रिस्तान में कोयल

बड़े फ़लक की हैं ये कहानियाँ! निर्मल वर्मा हिन्दी में सबसे अधिक पढ़े और पसन्द किए जाने वाले लेखक हैं। अधिकांश पाठकों और आलोचकों का भी यह मानना है कि उनकी कहानियाँ गहरा प्रभाव छोड़ती हैं-पढ़ते समय भी और पढ़ने के बाद भी। नामवर सिंह तो यहाँ तक कहते हैं कि उनकी लगभग तमाम कहानियों […]

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शुक्रिया जनाब

बीमारी की हालत में जयन्ती लाल को बिस्तर पर पड़े-पड़े आज छठां दिन था। इस बीच बीमारी, थकान और कमजोरी के कारण वे दैनन्दिन के अपने छोटे-से-छोटे कार्य के लिए भी पत्नी पर निर्भर हो गये थे। इन छः दिनों में उनकी पत्नी रचना ने उनकी सेवा-सुश्रुषा में कोई कमी नहीं रखी थी। दिन-भर में […]

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                        घोंसला

    वैसे तो कौवे कहीं दिखते नहीं , भूले – भटके  दिख गए तो मैं असहज हो जाता हूं। यह असहजता इतनी बढ़ जाती है कि लगता हृदय की धड़कन पर इसका असर हो रहा है। और किसी भी वक़्त दिल का दौरा पड़ सकता है। मैं बचाव का प्रयास करता हूं  लेकिन  अपने ऊपर […]

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