गोलमेज

         ”ओ खसकेल..भाग जल्दी वरना तेरको भूत ले जायेगा.उड़ाके..उप्पर…आसमान में.  चल भूतालिया आ गया है.”चौथे को अनसुना कर पहला गोल गोल घूमती हुई हवा देखता रहा  जिसमें कागज, पोलीथिन ,कचरा,धूल और बहुत सा कुछ उड़ रहा है.तभी उसे लगा वह भी उड़कर देखे.उड़ने की ख्वाहिश में भागा उस तरफ और घुमती हुई हवा में घुसने […]

Continue Reading

मेरी पुस्तकालय यात्रा

कई दिनों बाद जब मैं पुस्तकालय गई। देख कर मुझे ,पुस्तके, मुस्कुराने लगी उनके चेहरे पर मुस्कान ,आंखों में नमी थी। पूछती मुझसे ,बताओ हममें क्या कमी थी। कोने में बैठा ,साहित्य भी उदास था। सोचता, मैं भी कभी लोगों का खास था। घर-घर में जाता ,मिलता सबके पास था लेकिन आज विद्यार्थियो के लिए […]

Continue Reading