शीर्षक – तुम आओगी क्या?

आज फिर से मक्के की रोटी बनाई हैउसके साथ साग तीसी और हरी मिर्च,मां लाई हैतुम खाने आओगी क्या?एक बार फिर सेमुझे मेरे वर्तमान सेअतीत में बुलाओगी क्या? ये जो नेटफ्लिक्स और इंस्टा का ज़माना हैशायद मैंने भी इसे इस ज़माने कागुनहगार माना है कहानी सुनने और सुनाने वाले,न जाने कहां खो गएइस प्यार के […]

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वरिष्ठ आलोचक प्रो. गोपेश्वर सिंह से अनुराधा गुप्ता की बातचीत

‘साहित्य के जनतंत्र में आलोचना प्रतिपक्ष की रचनात्मक भूमिका निभाने वाली विधा है’ गोपेश्वर सिंह हमारे समय के महत्त्वपूर्ण आलोचक व चिन्तक हैं. आधुनिक साहित्य के साथभक्ति साहित्य को अलग नजरिए से देखने और उसके महत्त्वपूर्ण आयाम उद्घाटित करने मेंउनका विशेष योगदान है.उनकी प्रमुख पुस्तकें हैं – ‘नलिन विलोचन शर्मा’ (विनिबंध,साहित्य अकादेमी),‘साहित्य से संवाद’, ‘आलोचना […]

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”सा मा शान्तिरेधि”

“शांति के लिए व्यर्थ अतिरिक्त प्रयास ना करें. अशांति को स्वीकार कर लें तो अपने आप शांत हो जाएंगे”– ओशो पोस्ट-एपोकैलिक हॉरर फ़िल्म की एक श्रृंखला है “ए क्वाइट प्लेस”. जिसमें ऐसी दुनिया का चित्रण है जहां अतिसंवेदनशील-श्रवण-क्षमता वाले अंधे रक्तपिपासु जीव (एलियंस?) आ गए हैं. इनकी बख्तरबंद त्वचा, असाधारण गति और ताकत जैसे इन्हें […]

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क़ब्रिस्तान में कोयल

बड़े फ़लक की हैं ये कहानियाँ! निर्मल वर्मा हिन्दी में सबसे अधिक पढ़े और पसन्द किए जाने वाले लेखक हैं। अधिकांश पाठकों और आलोचकों का भी यह मानना है कि उनकी कहानियाँ गहरा प्रभाव छोड़ती हैं-पढ़ते समय भी और पढ़ने के बाद भी। नामवर सिंह तो यहाँ तक कहते हैं कि उनकी लगभग तमाम कहानियों […]

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गले न लगा

मेरे सफेद दामन पर तू दाग न लगा ,मेरा नहीं बन सकता तो तू इल्ज़ाम न लगा । तूने जो कुछ भी कहा मैंने सब सुन लिया ,अब अपने कहे पर तू पर्दा न लगा । तेरी तौहीन का हिस्सा नहीं बनना मुझे ,भले ही अब तू मुझे अपने गले न लगा । तेरी आदतों […]

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आशा जगातीं दो अनुवादित कविताएं भाग -1 मैक्स एरमन की कविता डेसिडराटा का हिंदी अनुवाद मनोकामनाएं

मनोकामनाएं मैक्स एरमन शोर और जल्दबाजी में चलो शांत भाव से,रखो याद कि मौन में संभव है बेपनाह शांति। जितना संभव हो बिना कभी झुके हुएसभी से रखो रिश्ते जो खुशगवार हों। आराम से और साफ-साफ सच अपना बयान करो;दूसरे क्या कहते हैं उनको भी सुनो सदा, मूर्ख और अज्ञानी की भी;होती अपनी कहानी है। […]

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शास्त्रीय भाषा

• प्राचीनता – भाषा के लिखित रिकॉर्ड 1500 से 2000 साल पुराने होने चाहिए |• प्राचीन साहित्य या ग्रंथ उस भाषा में उपलब्ध होने चाहिए|• समृद्ध साहित्य – भाषा में प्राचीन और समृद्ध साहित्यिक परंपरा होनी चाहिए जो मौजूदा साहित्य से अलग हो|• ग्रन्थ, विशेषकर गद्द्य ग्रन्थ के अतिरिक्त काव्य, पुरालेखीय और अभिलेखीय ग्रंथ हों […]

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शुक्रिया जनाब

बीमारी की हालत में जयन्ती लाल को बिस्तर पर पड़े-पड़े आज छठां दिन था। इस बीच बीमारी, थकान और कमजोरी के कारण वे दैनन्दिन के अपने छोटे-से-छोटे कार्य के लिए भी पत्नी पर निर्भर हो गये थे। इन छः दिनों में उनकी पत्नी रचना ने उनकी सेवा-सुश्रुषा में कोई कमी नहीं रखी थी। दिन-भर में […]

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संस्मरण – यादों में कानपुर भाग -1

‘कानपुर का जो ज़िक्र किया तूने हमनशीं इक तीर मेरे सीने में मारा के हाय हाय !’ अंग्रेज़ी में एक लफ्ज़ है Amazing जिसका हिंदी तर्जुमा अद्भुत है और उर्दू में इसे हैरत अंगेज़ कहतें हैं। लेकिन हमारे लिए इन तीनों का असल मतलब कानपुर है! इस बात को वही समझ सकता है जो या […]

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फिल्म गांधी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लोकप्रिय नेता

रिचर्ड एटनबरो द्वारा निर्देशित और 1982 में रिलीज हुई फिल्म गांधी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लोकप्रिय नेता, अहिंसावादी राष्ट्रनायक एवं भारत के राष्ट्रपिता कहे जाने वाले मोहनदास करमचंद गांधी जिन्हें आदर भाव के साथ बापू और महात्मा गांधी भी कहा जाता है उनके वास्तविक जीवन पर आधारित है। इस फिल्म में बेन किंग्सले ने गांधी […]

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