1. मैं न आऊं लौटकर तो
मैं न आऊं लौटकर तो
तुम गाॅंव के जवानों
के पाॅंव की माटी
की टुकड़ी अपनी
चोखट के ऊपर
रख देना
मैं न आऊं लौटकर…
1. अस्तित्व
जवाँ थीं जब तकबुढ़ी हड्डियाँखिलातीं, जिलातींपरिवार का प्राण बनउसे ज्यादा मजबूत…
नेहा ने मेंहदी के कुप्पीनुमा पैकेट के मूंह से पिन खींचा और उसे दबाया, मेंहदी बाहर नहीं निकली| बहुत दिनों…
चाह—१
मैंने चाहा था कि
उसकी आँखों में ख़ुद को देखूँ
उसके घर में रहूँ अपना घर समझकर
लेकिन…
बात सन 1920 – 21 की रही होगी मेरे दादा( ग्रैंड फ़ादर) मरहूम हर सहाय हितकारी, पेशे से वक़ील, फतेहपुर कचेहरी में…
खलील जिब्रान की ‘पैगम्बर’ अंग्रेजी में लिखी 28 गद्य काव्य दंतकथाओं की पुस्तक है। यह 1923 में प्रकाशित हुई…
विष्णु सखाराम खांडेकर जी द्वारा रचित, ज्ञानपीठ व साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत उपन्यास ‘ ययाति’ क…
इरादतन प्रेम
उसके बोलने से मात्र ध्वनि संचरित होती हैउसकी आवाज में कोई रंग नहीं होताउसके पैरों की आहट…