1. मैं न आऊं लौटकर तो
मैं न आऊं लौटकर तो
तुम गाॅंव के जवानों
के पाॅंव की माटी
की टुकड़ी अपनी
चोखट के ऊपर
रख देना
मैं न आऊं लौटकर…
बचे रहो प्रेमसहसा एक फूल गिराफिर कई रंग गिरे डाल सेनए रंग उगेआसमानसफेद बादलों से घिरानन्हीं चिड़िया…
समय का पैर घिसता जाता है
स्थिरता मिटती गई
अस्थिरता का घर,
महल बनता गया
चाहा जीवन से केवल संयम
जीवन ने…
1. अस्तित्व
जवाँ थीं जब तकबुढ़ी हड्डियाँखिलातीं, जिलातींपरिवार का प्राण बनउसे ज्यादा मजबूत…
माँ तुम नहीं हो
पर मुझमें ही कहीं हो।
मैं गाती गीत
स्वर तुम्हारा होता
आँखे मेरी, आँसू…
१.इंतजार का आलाप
अक्सर इंतजार की ऊब
बहुत लंबी होती है
रास्ते वही होते हैं
लेकिन आने की पदचाप…
चाह—१
मैंने चाहा था कि
उसकी आँखों में ख़ुद को देखूँ
उसके घर में रहूँ अपना घर समझकर
लेकिन…
1. ‘इस धारा में’
तुम पर्वत की तरह कोमल थे
नदी तुम्हारे भीतर से बह गई
मैं रेत की तरह कठोर था
मैंने उसे…
इरादतन प्रेम
उसके बोलने से मात्र ध्वनि संचरित होती हैउसकी आवाज में कोई रंग नहीं होताउसके पैरों की आहट…
गहरे अंतरिक्ष में, जहाँ इंसान की कल्पना भी पहुँचने से डरती है, वहाँ एक ऐसा ग्रह था जो पृथ्वी से बिल्कुल अलग…
एकालाप
1.
स्मृति में होती है बारिश
और भीग जाती है देह
कोई सपना आँखों से बह निकलता
प्रतीक्षा के घने…
शरद पूर्णिमा के चाँद को देखते हुए स्नायु मंडल में एक खिंचाव सा उत्पन्न होता है। यह कविता उस तनाव मुक्ति…
तुम और कवितायें
चट्टान पर जो आज कुछ नम सी लगी मुझे ।तुम अनदेखा करते रहे दो आँखें, जो तुम्हें देखने के लिए…
दिल साक्षी है….
तस्वीर उसकीआंखो में बसीकोई मिल्कियत जैसा है,
लफ़्ज़ उसकीकानों में घुलेगुड़ के शरबत…
उसकी हाथों की मेंहदी मेंमेरा नाम नहीं था,उसकी ख़ुशी में दिल खुश था,पर बेचैनी थी आराम नही था।
उसकी आंखों…
वह चली गईं बनवासवह रहीं अकेले शिशु के पासरखती थी वह अपने प्रिय परआंख बंद करके विश्वासबस इतना ही तो किया…
ज़िंदगी जैसे रेलगाड़ी है भाई
एक ही थाली में खाते थे चारों भाईशाम को एक ही तख्त पर करते…
अहंकार
मनुष्य का जीवन तब पलता हैधर्म और अधर्म के मार्ग पर चलता हैजब भी हो भयभीत तो उस ईश्वर को याद करता…