Female labour force participation in India: Why are women not working?

Abstract Female labour force participation (FLFP) in India remains critically low, with only about 30% of women engaged in paid employment, despite their significant potential contribution to the country’s GDP. Several factors, including socio-cultural norms, economic structures, and systemic barriers, limit women’s workforce participation in both rural and urban settings. Recent trends, however, indicate a […]

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सत्ता, भाषाऔरग़ज़ल: भाग–2

प्रजातंत्र के इस दौर में जबकि तानाशाही अपने पूरे शबाब पर है, तो भी सियासतदां जानता है कि उसे यह निरंतर दर्शाना है कि उससे बड़ा ग़रीबों का मसीहा, समाज और देश का शुभचिंतक कोई हो ही नहीं सकता। तो वह करे कुछ भी, लेकिन समय- समय पर इस बात को कहता रहता है और  बार […]

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सत्ता, भाषा और ग़ज़ल: भाग–1

सत्ता और साहित्य के मध्य सम्बन्ध पर बात करने से पूर्व थोड़ी सी बात सत्ता पर कर लेना ठीक रहेगा। सत्ता के विभिन्न प्रकारों तथा सत्ता की प्रकृति पर एक नज़र डालने के पश्चात सत्ता और साहित्य के परस्पर संबंधों को अधिक अच्छे से समझा जा सकता है। जिस समाज में हम रहते हैं उस […]

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बाल साहित्य : साहित्य का वृष्टिछाया क्षेत्र

अपने देश की कुल आबादी का एक चौथाई हिस्सा चौदह साल तक की उम्र के बच्चों का है। देश के लगभग चौवालीस प्रतिशत लोगों की पहली भाषा हिंदी है। जिसका साहित्य तकरीबन सौ साल से ज्यादा पुराना है। उसी हिंदी साहित्य की दुनिया में बच्चों की किताबों का जिक्र नहीं होता। ‘बाल साहित्य’ जैसा अलग खाँचा बनाकर उसे […]

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लोकमाता अहिल्या बाई होलकर

एक पर्याय : सशक्त भारतीय स्त्री का                                            “The History of a nation is the biography of its great men” Thomas  Carlyle (किसी भी राष्ट्र का इतिहास उसके महान लोगों की जीवनी होता है।) संपूर्ण विश्व में समान अधिकारों के संघर्ष के सिलसिले में ‘नारीवाद’ शब्द सामने आया। ‘नारीवाद’ आधुनिक व परवर्ती काल में […]

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