ऐसा न होता 

जाने से पहले देखा तो होता , ख़्वाबों का घर मेरा टूटा न होता । रख लेता तुमको छुपाकर कहीं , नज़रों का तुम पर पर्दा न होता । ठहर जाते जो तुम्हारे कदम , तो ठहरा हुआ वक्त ठहरा न होता । ये बदली हुई – सी फ़ज़ाए न होती , ये बदला हुआ […]

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अनुराधा ओस की नौ कविताएँ

1    साथ – पेड़ में लगा गूलर का फूलजैसे नेनुआ के फूल किसी छप्पर पर बैठेउजास से भर देते हैं जैसे दिसंबर की ठंड में एक टुकड़ा धूपकलाई पर बंधी घड़ी समय तो नहीं बदल सकतीलेकिन बीतता  समय जरुर बताती है जैसे किसी घने जंगल मेंकच्चा रास्ता मंजिल तक पंहुचा देता हैवसे ही तुम्हारा […]

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अपनी बात

 एक पुराना पद है – शब्द ब्रह्म है। उसकी अपनी महिमा और  सत्ता है। आप जितने बार उसके पास जाते हैं..उतने बार उसके अर्थ और गहराई से खुलते हैं, कई बार एक ही शब्द के नए मायने चिंहुक कर हम तक पहुँच जाते हैं। शब्द घिसते हैं, अर्थ बदलते हैं, समय के अंतराल में नए […]

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उससे प्यार 

मैं आज भी उसे हर क्षण याद करता हूँ, उसका नाम लेता हूँ उसकी बात करता हूँ। वो मेरे ख्यालों में भी है और ख़्वाबों में भी,  आँखें बंद करता हूँ तो उसका दीदार करता हूँ। उसकी तस्वीर बनाता रहता हूँ पन्नो पर, न जाने कितनी कॉपियाँ बेकार करता हूँ। कोई कर दे तारीफ़ मेरे […]

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