बाल कविताएं भाग -1

कविता

” कहो साइकिल ट्रॉफी पाओ ”

बोलो ऐसी कौन सवारी
दिखती भी हो प्यारी- प्यारी

नहीं कभी पेट्रोल वो खाये
इधर-उधर पर आए-जाये

घंटी जिसकी टन टन बजती
कदम कदम जो चलती रहती

पायडिल जितना तेज घुमाएं
उतना आगे बढ़ते जाएं

नहीं जरा भी धुआं यहां पर
नहीं तेल का कुआं यहां पर

घट जाती है इससे दूरी
योगा में भी बहुत जरूरी

नहीं ट्रैफिक का डर इसमें
बस दो छोटी टायर इसमें

नहीं जगह भी ज्यादा लेती
सबको रास्ते ये दे देती

खर्च नहीं भी कुछ ज्यादा है
नहीं है खतरा यह वादा है

कहां कभी कुछ पीती खाती
लेकर सिर्फ हवा रह जाती

हैंडल जैसे जिधर घुमायें
हम उस जानिब ही बढ़ जायें

है कितने यह रंगों वाली
लाल, हरी, पीली और काली

नाम अब इसका तुम बतलाओ

कहो साइकिल ट्रॉफी पाओ

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