दिल साक्षी है….
तस्वीर उसकी
आंखो में बसी
कोई मिल्कियत जैसा है,
लफ़्ज़ उसकी
कानों में घुले
गुड़ के शरबत जैसा है,
दिल साक्षी है
एहसासों के इस
आफरा-तफरी का,
बिना मिले ही
लक्षण
कुछ-कुछ
मोहब्बत जैसा है।
वैधानिक चेतावनी
जीवन के अंधेरों में,
संघर्ष के थपेड़ों में,
राहत की इतनी चमकीली चांदनी के लिए,
आंखे तैयार नहीं होती अक़्सर,
तुम्हारे नज़र आने से पहले एक
वैधानिक चेतावनी आनी चाहिए।
अमरेन्द्र कुमार ‘अमर’
मै अमरेन्द्र कुमार ‘अमर’,पेशे से विमान रखरखाव अभियंता और हृदय से हिंदी कवि हूँ। विगत सोलह साल से एयरलाइन में कार्यरत हूँ। हिंदी भाषा की कोई विशिष्ट योग्यता या पाठ्यक्रम प्राप्त नहीं की है, बस अपनी रुचि से कक्षा दसवीं से कविता लिखता आ रहा हूं। मेरा मानना है कि जब दिल में कोई गहरा भाव उठता है और साथ ही साथ मन की कल्पना के विस्तृतकाश में शब्द उड़ान भरने लगते हैं तब कविता की उत्पत्ति होती है। प्रेम में दुख में खुशी में हर लम्हे में मैने कविता लिखी है और हर भाव को शब्दों में पिरोकर संजोया है। मैं कहता हूं कि _” मैं तुम्हारी चित्र नहीं बना सकता इसलिए कविता लिखता हूँ।” यही है मेरा काव्य-प्रेम और यही है मेरी प्रेम- कविता है। मेरा आत्म-परिचय मेरी कविता है, मेरा चरित्र चित्रण भी मेरी कविता है, मेरी भावना, मेरा लक्ष्य, मेरी नियति और मेरी सारी कोशिशें यह तक की मेरा दिल का दर्पण सब मेरी कविता है। मैने जब भी प्रेम की कमाई की अपना सबकुछ न्योछावर किया ,अर्पण किया और मेहनताने में सिर्फ कविता पाया।
आभार