मनोकामनाएं
मैक्स एरमन
शोर और जल्दबाजी में चलो शांत भाव से,
रखो याद कि मौन में संभव है बेपनाह शांति।
जितना संभव हो बिना कभी झुके हुए
सभी से रखो रिश्ते जो खुशगवार हों।
आराम से और साफ-साफ सच अपना बयान करो;
दूसरे क्या कहते हैं उनको भी सुनो सदा,
मूर्ख और अज्ञानी की भी;
होती अपनी कहानी है।
चीखते और आक्रामक लोगों से कन्नी काट लो,
वे तो देते हैं आत्मा को ही कष्ट सदा।
अगर दूसरों से अपनी तुलना करो,
तो आ सकती है बेचारगी और कटुता;
क्योंकि दूसरे लोग आपसे कभी छोटे होंगे और कभी होंगे बड़े भी।
लुत्फ लो अपनी उपलब्धियों और योजनाओं का भी।
अपने करियर में रखो रुचि, विनम्रता को छोड़ो मत;
वक्त के साथ नसीब बदला, तो पूंजी होगी यही बस।
कारोबार करो, तो रखो सावधानी भी;
छल-कपट से आखिर भरी है दुनिया ये।
गुणों को अनदेखा कभी न करना;
बहुत से लोग ऊंचे आदर्शों पर मरते हैं;
और जीवन में हर कहीं साहस रहे भरा।
असल में जो हो, वही रहो, वही रहो।
खासकर दिखावटी स्नेह कभी करना मत।
कोई प्रेम करे, तो रूखे कभी बनना मत;
सभी तमाम रूखेपन और मोहभंग
होते हैं घास की मानिंद बारहमासी।
वक्त से सदा ही लेते रहो सीख,
जवानी के जोश को रखना सहेजकर।
आत्मा की शक्ति को पोसो, जो बचा ले दुर्भाग्य से।
भयावह कल्पनाओं से कष्ट मत पालो कोई।
थकान और अकेलेपन से जनमते हैं डर कई।
भरे-पूरे अनुशासन से परे,
अपने लिए कोमलता झरे।
‘आप संतान हो ब्रह्मांड की,
पेड़ों और सितारों से कम नहीं;
अधिकार यहां रहने का आपका।
कौन जाने आप जानो या नहीं,
नि:संदेह खुल रहा ब्रह्मांड जैसा खुलना चाहिए।’
इसलिए परमेश्वर से रखो शांत भाव सदा,
जैसी भी छवि हो उसकी मन में आपके,
और कितना भी श्रम करो, कितनी भी पालो कामनाएं,
जीवन के शोर-शराबे में आत्मा से शांत भाव रखो।
कितने भी हों दिखावे, काम बेमन के और सपने टूटे हुए,
दुनिया की खूबसूरती में है नहीं कमी कोई।
जोश से भरे रहो।
खुशियों में लगे रहो।
अनुवाद: भुवेंद्र त्यागी