चंद्रिका चौधरी की चार लघुकथाएं

  टुकड़े-कपड़े             आज सुमन पटियाला-कुर्ती सिलने के लिए कपड़े को ज़मीन पर बिछाकर रखी है ताकि सही नाप में काट सके । एकाएक उसकी आँखें दीवार पर टिक-टिक करती घड़ी पर टंग गई । इस समय पड़ोस के दादा जी हर रोज चाय पीने आते हैं, अब तक नहीं आए ! कैंची वहीं छोड़ […]

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