मैं आज भी उसे हर क्षण याद करता हूँ,
उसका नाम लेता हूँ उसकी बात करता हूँ।
वो मेरे ख्यालों में भी है और ख़्वाबों में भी,
आँखें बंद करता हूँ तो उसका दीदार करता हूँ।
उसकी तस्वीर बनाता रहता हूँ पन्नो पर,
न जाने कितनी कॉपियाँ बेकार करता हूँ।
कोई कर दे तारीफ़ मेरे मेहबूब की ‘ग़र,
तो उसकी तारीफ़ें बेशुमार करता हूँ।
वो ‘ग़र बात करे मेरे दुश्मनों से भी,
तो ‘तह-ए-दिल से उनका इस्तक़बाल करता हूँ।
ग़ैर से इतनी मोहब्बत ठीक नहीं,
दोस्त कहें भी तो मैं कहाँ इनक़ार करता हूँ।
जिसने अपनों के सम्मान की ख़ातिर मुझको छोड़ दिया,
मैं तो बस उससे प्यार करता हूँ।