१.इंतजार का आलाप
अक्सर इंतजार की ऊब
बहुत लंबी होती है
रास्ते वही होते हैं
लेकिन आने की पदचाप…
प्रजातंत्र के इस दौर में जबकि तानाशाहीअपने पूरे शबाब पर है, तो भी सियासतदां जानता है कि उसे यह निरंतर…
कई दिनों बाद जब मैं पुस्तकालय गई।
देख कर मुझे ,पुस्तके, मुस्कुराने लगी
उनके चेहरे पर मुस्कान ,आंखों में…