ऐसा न होता 

कला और संस्कृति

जाने से पहले देखा तो होता ,

ख़्वाबों का घर मेरा टूटा न होता ।

रख लेता तुमको छुपाकर कहीं ,

नज़रों का तुम पर पर्दा न होता ।

ठहर जाते जो तुम्हारे कदम ,

तो ठहरा हुआ वक्त ठहरा न होता ।

ये बदली हुई – सी फ़ज़ाए न होती ,

ये बदला हुआ – सा मौसम न होता ।

बादल बरसते दिल की ज़मीन पर ,

यूँ सूखा हुआ दिल का आँगन न होता ।

आँखों में आँसू मेरे न होते ,

होते जो तुम तो ऐसा न होता ।

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