जाने से पहले देखा तो होता ,
ख़्वाबों का घर मेरा टूटा न होता ।
रख लेता तुमको छुपाकर कहीं ,
नज़रों का तुम पर पर्दा न होता ।
ठहर जाते जो तुम्हारे कदम ,
तो ठहरा हुआ वक्त ठहरा न होता ।
ये बदली हुई – सी फ़ज़ाए न होती ,
ये बदला हुआ – सा मौसम न होता ।
बादल बरसते दिल की ज़मीन पर ,
यूँ सूखा हुआ दिल का आँगन न होता ।
आँखों में आँसू मेरे न होते ,
होते जो तुम तो ऐसा न होता ।