उभरते सितारेकविता

सुमन शेखर की छः कविताएँ

समय का पैर घिसता जाता है स्थिरता मिटती गई अस्थिरता का घर, महल बनता गया चाहा जीवन से केवल संयम जीवन ने अट्टहास किया— अब इसके दिन गए समय के साथ…
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उभरते सितारे

एक बस यात्रा 

दोपहर का समय था, मुझे अपने कॉलेज जाने के लिए बस लेनी थी। उस दिन न जाने मैने भगवान से कितने शिक़ायते की अपने…