कला और संस्कृति

कबीर की कविता अर्थात् व्यक्ति का समाज और समाज का व्यक्ति सन्दर्भ

कबीर की पंक्तियाँ हैं, ‘सब दुनी सायानी मैं बौरा/ हम बिगरे बिगरी जनि औरा/’. इन पंक्तियों की जानी-पहचानी व्याख्या को छोड़ दें तो ये पंक्तियाँ एक व्यक्ति के…
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आलेखकला और संस्कृति

भारतीय लोकनाट्य परंपरा की आद्य कड़ी रामलीला : परंपरा और निरंतरता

*  भारत में रामलीलाओं की शुरुआत जिस देश के जनमानस के स्वभाव व संस्कार में उठते राम बैठते राम, सोते राम…