कविता

डॉ. चंद्रिका चौधरी की छः कवितायेँ

1. अस्तित्व जवाँ थीं जब तकबुढ़ी हड्डियाँखिलातीं, जिलातींपरिवार का प्राण बनउसे ज्यादा मजबूत बनातीं।सूखे बीज कोपौधे से वृक्ष बनाखुद बन गयींसूखी शाख।जब…
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