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रक्षाबंधन 

इस बार भी बंधे हैं बहनों के धागे मेरी कलाई में चमकीले, मोतियों जड़े लाल लाल रंग के नाड़ियों में…
कविता

1. कविता

रोज की बंधी-बंधाई दिनचर्या से निकली ऊब नहीं है कविता दिनचर्या एक बेस्वाद च्यूंइगम है जिसे बेतरह…