
चाह—१
मैंने चाहा था कि
उसकी आँखों में ख़ुद को देखूँ
उसके घर में रहूँ अपना घर समझकर
लेकिन उसने आँखें नहीं खोली
उसने गले से लगाया मुझे
लेकिन अपना मुख नहीं खोला
आँखें झुकाए बैठी रही सामने दिन भर
सिर्फ़ सर हिलाकर हामी भरी कि
वह मुझसे प्रेम करती है
उसकी जिन कस्तूरी आँखों में
मेरा घर हुआ करता था
बंद था वह घर मेरे लिए आज
सूनापन था वहाँ दूर तक पसरा हुआ
उसकी जिन तरल आँखों के सागर में
डूब-डूब जाता था मैं कभी
आज मेरी तरफ़ देख नहीं रही थी
मैं एक बादल था
उसने हवा बनकर रास्ता दिखाया मुझे
लेकिन एक दिन ओझल हो गई
वह चली गई और पलटकर देखा नहीं
मैं प्रेम के जल से भरा वह बादल
बरसना चाहता हूँ
चाह—२
रात हो गई है
दुकान पर कोई गाहक नहीं हैं
बढ़ा दीजिए दुकान मेरे मालिक
कुत्ते भी सोने लगे हैं गलियों में
भँवरे बंद हो गए कलियों में
मैं भी आसमान बाँहों में भरना चाहता हूँ
2.
दुनिया
जब-जब इसे समझने के लिए
क़रीब गया
नाकाम लौट आया
अब ख़ुद को तसल्ली देता हूँ कि
यह सिर्फ़ देखने के चीज़ है
समझने की तो बिल्कुल नहीं
3.
छाया
वह जा चुका है
उसकी देह राख हो चुकी है
फूल चुन लिए हैं बुजुर्गों ने
नदी में विसर्जित कर दिए हैं
मगर वह अब भी दीखता है खाँसता हुआ
बैलों के साथ खेत से घर की ओर आता हुआ
उसकी छाया दरवाज़े पर पड़ती है
चमक आ जाती है दो आँखों में
कुछ देर के लिए
और अचानक मुँह से निकल पड़ते हैं बोल
“बेटा ! पानी लाओ रामझारे में
तुम्हारे बाबा के लिए”
दो आँखें ऊपर उठती हैं
चार हो जाने के लिए
छाया चौखट से मिट जाती है
घर फिर सूना हो जाता है
रीत जाता है पानी रामझारे से
4.
तत्व बोध
दिन के बोध से
रात की स्मृति हो आती है
सुख के बोध से दुःख की
जीवन के बोध के साथ आता है
स्मरण मृत्यु का
और मृत्यु के बोध से आती है उदासी
तुम्हारे बोध से उत्पन्न होता है जीवन-राग
यही तो है जो देता है
मेरे जीवन को आग
5.
दादा के लिए
मैं अपने दादा से मिलना चाहता हूँ
इस भरी दुनिया में मेरा जी नहीं लगता है
हर वक्त यही सोचता रहता हूँ
कौन है जो मुझे उनसे मिलवाएगा
मेरे भीतर से आवाज़ आती है
ज़रा सा इंतज़ार और
बस तनिक सी बची है रात
ख़ूब करना फिर दादा से बात
तुम्हारे दादा भी
तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहे हैं
नदी के उस ओर
पार करना बाकी है थोड़ा-सा यह छोर
6.
मृत्यु
अपनों के छूट चुके हैं हाथ
सपने भी छोड़ चुके हैं साथ
कृशकाय हो गया है गात
एकटक देखती रहती हैं
किसी के इंतज़ार में आँखें
साँस उखड़ रही है
कोई शोर नहीं है कहीं
रात गए जब वह आती है
प्रेम से गले लगाती है
जैसे कभी उसकी प्रेमिका ने लगाया था
तारों की घनी छाया में
सुबह मुँह, हाथ-पैर खुले रह जाते हैं
बदन में अकड़न है
अब ये निशान ही बचे हैं अभिसार के
उन दोनों के प्यार के
कवि परिचय—
विजय राही
स्कूली शिक्षा गाँव के सरकारी स्कूल से हुई। स्नातक शिक्षा राजकीय महाविद्यालय, दौसा, राजस्थान से एवं स्नातकोत्तर शिक्षा हिन्दी विभाग, राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर से हुई। हिन्दी-उर्दू के साथ-साथ राजस्थानी भाषा में समानांतर लेखन।
हंस, पाखी, तद्भव, वर्तमान साहित्य, मधुमती, विश्व गाथा, उदिता, अलख, कथारंग, सदानीरा, समकालीन जनमत, कृति बहुमत, कथेसर, किस्सा कोताह, नवकिरण, देशज, साहित्य बीकानेर, परख, दैनिक भास्कर, राजस्थान पत्रिका, दैनिक नवज्योति, डेली न्यूज, सुबह सवेरे, प्रभात ख़बर, राष्ट्रदूत, रेख़्ता, हिन्दवी, समालोचन, जानकीपुल , अंजस, अथाई, उर्दू प्वाइंट, पोषम पा, इन्द्रधनुष, हिन्दीनामा, कविता कोश, तीखर, पहली बार, लिटरेचर पाइंट, दालान आदि प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं, ब्लॉग्स और वेबसाईट्स पर कविताएँ- ग़ज़लें, आलेख प्रकाशित।
राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर में कविता पाठ। दूरदर्शन राजस्थान एवं आकाशवाणी के जयपुर केन्द्र से कविताओं का प्रसारण।
पाखी, जन सरोकार मंच- टोंक, राजस्थान प्रगतिशील लेखक संघ, युवा सृजन संवाद-इलाहाबाद आदि आनलाईन चैनलों पर लाईव कविता पाठ
सम्प्रति-
राजकीय महाविद्यालय, कानोता, जयपुर में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर (हिन्दी) के पद पर कार्यरत
बिलौना कलॉ, लालसोट, दौसा (राजस्थान)
पिनकोड- 303503
Email- vjbilona532@gmail.com
प्यारी कविताएं, सहज और सौम्य
मार्मिक भावपूर्ण बहुत उम्दा कवितायें हैं। लोक जनजीवन की संवेदनशीलता इन कविताओं में गहनता से अभिव्यक्त होती है। विजय राही को बहुत बहुत बधाई और शब्द बिरादरी को साधुवाद।
सुंदर भावपूर्ण कविताएं
जीवन के सहज सेटों का साक्षात्कार कराती
गहरा जीवनदर्शन ! उम्दा कविताएं !
आहिस्तगी लिए कविताएँ। प्रेम – चाह, जीवन दर्शन , मृत्युबोध को अपने में घुलाए हुए। ‘मृत्यु’ शीर्षक कविता तो खास किस्म की विलक्षणता लिए है। सबसे भयानक, सबसे कठोर चीज को सबसे सुकुमार , सबसे तरल चीज के साथ घुलामिला देखना खासा दिलचस्प है। बधाई विजय जी! यों ही लिखते रहें खुद को।
बात-बात में I Love You बोलते, हर एक क्षण को वाट्सएप स्टेटस, फेसबुक स्क्रीन पर प्रदर्शित करते अति मुखर समय में विजय राही आँखें झुकाए गर्दन की जुंबिश से प्यार को स्वीकारते अहसास को जीने वाले कवि हैं। दुनिया को देखने भर चीज तक पहुंचा उनका बोध अपने परिवेश को कलेजे से अलगाने को तैयार नहीं। रिश्ते बीत कर भी उनके भीतर से रीतते नहीं। बढ़िया कविताओं के लिए बधाई।
बहुत प्यारी और जिंदगी को करीब से महसूस कराने वाली कविताएं।
जमीन की गंध और स्पर्श का सुख।
बहुत प्यारी और जिंदगी को करीब से महसूस कराने वाली कविताएं।
Wah wah adbhut Vijay Bhai ❤️❤️❤️
शानदार कविताएं❤️
बात-बात में ‘आई लव यू’ बोलते, हर एक क्षण को वाट्सएप स्टेटस, फेसबुक स्क्रीन पर प्रदर्शित करते अति मुखर समय में विजय राही आँखें झुकाए गर्दन की जुंबिश से प्यार को स्वीकारते अहसास को जीने वाले कवि हैं। दुनिया को देखने भर चीज तक पहुंचा उनका बोध अपने परिवेश को कलेजे से अलगाने को तैयार नहीं। रिश्ते बीत कर भी उनके भीतर से रीतते नहीं। बढ़िया कविताओं के लिए बधाई।
— हेमंत कुमार
युवा कवि-लेखक, सीकर, राजस्थान
विजय को पढ़ने की चाह हमेशा बनी रहती है। कुछ ऐसा सुकून मिलता है जो एक अजीब-सी सी बेचैन खामोशी भर देता है भीतर… कविता समाप्त होने के पश्चात भीतर नये सिरे से उगने लगती हैं।
खूब बधाई और शुभकामनाएँ विजय 💐💐
Beautiful poetry🍁
बहुत सुन्दर, शाश्वत अभिव्यक्ति वाली कविताएँ , विजय राही जी को बहुत बधाई🎉🎊
आप सबकी टिप्पणियाँ मेरे आत्मविश्वास को बढ़ाने वाली हैं। आप सबका बेहद शुक्रिया। मुझे आपसे जोड़ने के लिए ‘शब्द-बिरादरी’ और अनुराधा जी का भी आभार 🌼
बहुत ही अदभुत, बहुत प्यारी कविताएं विजय राही सर को बहुत बहुत बधाई 💐💐💐
बहुत सुंदर कविताएँ. ताजगी से भरी हुई.
जीवन -दर्शन , मर्यादित प्रेम, पुरखों से सहज लगाव और अनायास उपजे विचारों को बहुत ही उचित शब्दों का बाना पहनाया है भाई विजय राही ने। नयी कविता का नयापन इसे कहते हैं।
बहुत ही अच्छी कविताएं लिखी, प्रिय भतीजे जिनमें 2 नम्बर की तो बहुत ही कबीले तारीफ़ , बहुत बहुत बधाई हो आपक l
Bahut sundar kavitaayen Vijay Bhai.
Scratch cards always felt so…instant! Thinking about the future of gaming, like PH987 Login discusses, is wild. Predictive algorithms adapting to how we play? That’s next level, beyond just quick wins! Exciting stuff.
Really digging this breakdown of blackjack strategy! Understanding those probabilities is key, and it’s cool to see platforms like phlwinner game emphasizing data. Makes learning so much easier for beginners like me! Definitely helps build confidence at the table.