रक्षाबंधन 

इस बार भी बंधे हैं बहनों के धागे मेरी कलाई में  चमकीले, मोतियों जड़े  लाल लाल रंग के  नाड़ियों में दौड़ते द्रव्य से  इस तरह हजारों सालों में पली-बढ़ी संस्कृति से  जुड़ गए हैं मेरे तार  बहनों की रक्षा की सौगंध खाते हुए  कि मैं ढूंढता हूं एक सुरक्षित जगह उनके लिए  और पाता हूं […]

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विजय राही की कविताएँ 

चाह—१  मैंने चाहा था कि  उसकी आँखों में ख़ुद को देखूँ  उसके घर में रहूँ अपना घर समझकर  लेकिन उसने आँखें नहीं खोली  उसने गले से लगाया‌ मुझे   लेकिन अपना मुख नहीं खोला  आँखें झुकाए बैठी रही सामने दिन भर   सिर्फ़ सर हिलाकर हामी भरी कि   वह मुझसे प्रेम करती है   उसकी जिन कस्तूरी आँखों […]

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ललन चतुर्वेदी की कविताएं

इरादतन प्रेम उसके बोलने से मात्र ध्वनि संचरित होती हैउसकी आवाज में कोई रंग नहीं होताउसके पैरों की आहट अनजानी सी लगती है उसका देखना सिर्फ देखना हैदृष्टि न तो संबोधित होती है,न आह्वान करती है रेल के डिब्बे सा चलता रहता है पटरी परयह महज इंजन से जुड़ाव का प्रतिफल है उसकी मुस्कान जैसे […]

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अनदेखी दुनिया की यात्रा

गहरे अंतरिक्ष में, जहाँ इंसान की कल्पना भी पहुँचने से डरती है, वहाँ एक ऐसा ग्रह था जो पृथ्वी से बिल्कुल अलग था-“एरियॉन”। यह कोई साधारण ग्रह नहीं था; यहाँ समय उल्टा चलता था। हर सुबह सूरज उगने के बजाय डूबता था, लोग बूढ़े होकर जन्म लेते और शिशु बनकर मृत्यु को प्राप्त करते।इस रहस्यमय […]

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सीमा सिंह की तीन कवितायें

एकालाप 1. स्मृति में होती है बारिश और भीग जाती है देह कोई सपना आँखों से बह निकलता प्रतीक्षा के घने जंगलों में पुकारे जाने के लिए ज़रूरी था किसी आवाज़ का साथ होना कोई न सुने तो अकेलापन और घहरा उठता है ! 2. कानों में गूंजती हैं अभी भी की गई प्रार्थनाएँ जुड़ी […]

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