1. मैं न आऊं लौटकर तो
मैं न आऊं लौटकर तो
तुम गाॅंव के जवानों
के पाॅंव की माटी
की टुकड़ी अपनी
चोखट के ऊपर
रख देना
मैं न आऊं लौटकर…
1. अस्तित्व
जवाँ थीं जब तकबुढ़ी हड्डियाँखिलातीं, जिलातींपरिवार का प्राण बनउसे ज्यादा मजबूत…
माँ तुम नहीं हो
पर मुझमें ही कहीं हो।
मैं गाती गीत
स्वर तुम्हारा होता
आँखे मेरी, आँसू…
चाह—१
मैंने चाहा था कि
उसकी आँखों में ख़ुद को देखूँ
उसके घर में रहूँ अपना घर समझकर
लेकिन…
इरादतन प्रेम
उसके बोलने से मात्र ध्वनि संचरित होती हैउसकी आवाज में कोई रंग नहीं होताउसके पैरों की आहट…
गहरे अंतरिक्ष में, जहाँ इंसान की कल्पना भी पहुँचने से डरती है, वहाँ एक ऐसा ग्रह था जो पृथ्वी से बिल्कुल अलग…
एकालाप
1.
स्मृति में होती है बारिश
और भीग जाती है देह
कोई सपना आँखों से बह निकलता
प्रतीक्षा के घने…