बाल कविताएं भाग -1

” कहो साइकिल ट्रॉफी पाओ ” बोलो ऐसी कौन सवारीदिखती भी हो प्यारी- प्यारी नहीं कभी पेट्रोल वो खायेइधर-उधर पर आए-जाये घंटी जिसकी टन टन बजतीकदम कदम जो चलती रहती पायडिल जितना तेज घुमाएंउतना आगे बढ़ते जाएं नहीं जरा भी धुआं यहां परनहीं तेल का कुआं यहां पर घट जाती है इससे दूरीयोगा में भी […]

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कवि‌ का फर्ज़

भूल गएं हैं हम, कवि का फर्ज़अरे! लिखो सच्चाई क्या है हर्ज़ लिखो तुम अबला का विलापमासूमों का दर्द, परिवार का संताप लिखो तुम भूखों की पीड़ाक्यो करते महलों में क्रीड़ा लिखो तुम आंसू गरीबों केलिखो तुम हाल फकीरों के लिखो तुम नवयुवक का त्रासकैसे बन रहा अवसाद का ग्रास कैसे मार रही इंसानियत लिखोइंसानों […]

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क्या कहते हो कुछ लिख दूं,

क्या कहते हो कुछ लिख दूं,मैं ललित कलित कविताएं। चाहो तो चित्रित कर दूं,जीवन की वरुण कथाएं।। सूना कवि- हृदय पड़ा है,इसमें लालित्य नहीं है। इस छूटे हुए जीवन में,अब तो साहित्य नहीं है।। मेरे सौम्य भावों का सौदा, करती अंतर की ज्वाला। बेसुध- सी करती जाती,क्षण-क्षण कुयोग की हाला।। नीरस- सा होता जाता,जाने क्यों […]

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।   सात दिन ।

मैं तुमसे बातें करना चाहता हूंजब एकांत में तुम्हे पाता हूंतुम बहुत कुछ मुझे समझा जाती हो,मगर पलकें तक न उठाती होमैं सिर झुकाए तुममे डूबा रहता हूं,तुममें ही तुम्हारी खोज करता हूं                           मगर समय बहुत जल्दी बीत जाता है               मैं तुम्हे पूरा नहीं, कुछ हद तक ही,               अपने पास रख पाता हूं               तुम बिना […]

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शीर्षक – तुम आओगी क्या?

आज फिर से मक्के की रोटी बनाई हैउसके साथ साग तीसी और हरी मिर्च,मां लाई हैतुम खाने आओगी क्या?एक बार फिर सेमुझे मेरे वर्तमान सेअतीत में बुलाओगी क्या? ये जो नेटफ्लिक्स और इंस्टा का ज़माना हैशायद मैंने भी इसे इस ज़माने कागुनहगार माना है कहानी सुनने और सुनाने वाले,न जाने कहां खो गएइस प्यार के […]

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गले न लगा

मेरे सफेद दामन पर तू दाग न लगा ,मेरा नहीं बन सकता तो तू इल्ज़ाम न लगा । तूने जो कुछ भी कहा मैंने सब सुन लिया ,अब अपने कहे पर तू पर्दा न लगा । तेरी तौहीन का हिस्सा नहीं बनना मुझे ,भले ही अब तू मुझे अपने गले न लगा । तेरी आदतों […]

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आशा जगातीं दो अनुवादित कविताएं भाग -1 मैक्स एरमन की कविता डेसिडराटा का हिंदी अनुवाद मनोकामनाएं

मनोकामनाएं मैक्स एरमन शोर और जल्दबाजी में चलो शांत भाव से,रखो याद कि मौन में संभव है बेपनाह शांति। जितना संभव हो बिना कभी झुके हुएसभी से रखो रिश्ते जो खुशगवार हों। आराम से और साफ-साफ सच अपना बयान करो;दूसरे क्या कहते हैं उनको भी सुनो सदा, मूर्ख और अज्ञानी की भी;होती अपनी कहानी है। […]

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बचपन

बचपन ख़्वाब बुनता था बचपन में कभी जो मैं अब उन ख़्वाबों को याद करता हूँ  न जाने कहाँ खो गया बचपन मेरा मैं उस बचपन को याद करता हूँ । कभी खेला करता था मैं भी गलियों में कभी कूदा करता था मैं भी छतों पर कभी आते थे उलाहने घर मेरे भी  कभी […]

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औरत, रात, चाँद और कजरौटा!

औरत, रात, चाँद और कजरौटा! जिंदगी का कजरौटा! रखती वो सम्भाल कर, ऊपर, ताखे पर.. सफ़ेद लुगरी के बित्ते भर के कपड़े मे लपेट कर! कजरौटा अब भरने को है.. उम्र के भी चालीस पार होने को हैं। दुःखों की काले काजर को.. हर रात खुरच-खुरच मन के दीवार से हटा.. कर देती कजरौटा के […]

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उज्जैन से राजनांदगाँव वाया नागपुर

यह मैं हूं या शाख पर टिका आखिरी पत्तायह पतझड़ का मौसम या शुष्क हवा जागती सीदेखना है कृशकाया मेरी चीर देगी पवन का रुखया कि रुख़सत होने की घड़ी आ गई करीब धुंधला धुंधला सा वलय सूक्ष्म से स्थूल घेरताघेरा यह लेता अपनी परिधि मेंहवा, पानी, आकाश, अग्नि, धरा कोमानव तन और समूचा वातायनबढ़ते […]

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